जीएसटी और बैंकरप्सी कोड से इंडिया में बढ़ेगा एफडीआई : मूडीज

0
676

कारोबार के तौर-तरीकों की जटिलता घटाने और उसकी लागत में कमी लाने वाले जीएसटी और सरल बैंकरप्सी कोड जैसे रिफॉर्म्स होने के चलते एफडीआई में बढ़ोतरी हो सकती है

नई दिल्ली। गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स यानी जीएसटी और बैंकरप्सी कोड जैसे रिफॉर्म्स के चलते भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अच्छा-खासा बढ़ सकता है। इंटरनैशनल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया है।

मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, ‘कारोबार के तौर-तरीकों की जटिलता घटाने और उसकी लागत में कमी लाने वाले जीएसटी और सरल बैंकरप्सी कोड जैसे रिफॉर्म्स होने के चलते एफडीआई में बढ़ोतरी हो सकती है।’

सोमवार को जारी रिपोर्ट इस विषय पर आधारित है कि कैसे ग्लोबल डिमांड में मजबूती से एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों में बुनियादी सुधारों का ज्यादा असर हो सकता है। मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि सरकार ने कई सेक्टरों में ऑथराइज्ड एफडीआई की ऊपरी सीमा बढ़ा दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘भारत में एफडीआई लिमिट पहले से ही बहुत बढ़ी हुई है। यह अलग बात है कि उनका आधार छोटा है।’

डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी ऐंड प्रमोशन के मुताबिक, पिछले साल देश में एफडीआई 18 पर्सेंट बढ़कर $46 अरब हो गया था। नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने इंश्योरेंस, डिफेंस, सिविल एविएशन सहित बहुत से सेक्टर में एफडीआई फ्रेमवर्क को उदार बनाया है।इसके साथ ही देश में कारोबार करना आसान बनाने के लिए कई तरह के कदम उठाए हैं।

इंटरनैशनल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि इंडिया और इंडोनेशिया में कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने के साथ ही बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए उठाए गए कदमों के सकारात्मक असर की झलक मजबूत मैक्रोइकनॉमिक माहौल में ज्यादा अच्छी दिखेगी।

मूडीज ने इंडिया की Baa3 पॉजिटिव सॉवरेन रेटिंग बरकरार रखी है। मूडीज ने कहा है कि इंडिया और इंडोनेशिया, दोनों देशों की सरकारों ने अपने यहां कारोबारी हालात बेहतर बनाने, खासतौर पर एफडीआई आकर्षित करने के लिए पिछले कुछ वर्षों में कई सुधार कार्यक्रम लागू किए हैं।

उसके मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय बाजार की मजबूती से विदेशी निवेशकों के बीच दोनों देशों के आकर्षण पर आर्थिक सुधारों का सकारात्मक असर बढ़ सकता है।

मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विसेज ने कहा है कि पिछले साल के अंत से अब तक ग्लोबल डिमांड में आ रही मजबूती से एशिया प्रशांत की ट्रेड आधारित अर्थव्यवस्थाओं की ग्रोथ तो बढ़ी है लेकिन उनकी तेज एक्सपोर्ट ग्रोथ टिकाऊ प्रॉडक्शन ग्रोथ में बढ़ावा देने में कामयाब नहीं हो पाई है।