अगस्त में खली का निर्यात चार फीसद घटा

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नई दिल्ली। इंडस्ट्री बॉडी SEA ने बताया है कि, “प्रमुख खली उत्पादों की घरेलू कमी को देखते हुए, पशु आहार के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले खली का निर्यात अगस्त में 4 फीसद से घटकर 1,64,831 टन का रह गया है।” SEA ने शुक्रवार के दिन यह जानकारी उपलब्ध कराई है। एक बयान के मुताबिक “खली की स्थानीय कमी को पूरा करने के लिए, सरकार ने आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) सोयामील के आयात की अनुमति दे दी है। इसके साथ ही सरकार को पोल्ट्री उद्योग को भी कुछ राहत दे सकती है।”

मुर्गी पालन और अन्य क्षेत्रों में खली का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है। खली का निर्यात अगस्त 2020 में 1,71,515 टन का रहा था। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस साल अगस्त में सोयाबीन का निर्यात तेजी से घटकर 10,975 टन रह गया, जो एक साल पहले की समान अवधि में 58,190 टन का था।

बयान में यह कहा गया है कि, “भारत सोयाबीन मील के निर्यात की कीमत से बाहर है और अक्टूबर-नवंबर में नई फसल आने तक इसके फिर से शुरू होने की संभावना नहीं है। यहां तक ​​कि अरंडी से मिलने वाले चारे का निर्यात भी इस अवधि के 32,825 टन से घटकर 18,160 टन का रह गया है।”

हालांकि, रेपसीड मील का निर्यात इस साल अगस्त में बढ़कर 63,058 टन हो गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में 50,580 टन था और चावल की भूसी का निर्यात 29,375 टन से बढ़कर 72,638 टन हो गया। SEA ने कहा कि दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और बांग्लादेश को अधिक शिपमेंट के कारण रेपसीड भोजन निर्यात में काफी वृद्धि हुई है। वियतनाम और बांग्लादेश से बड़ी मांग के कारण चावल की भूसी के एक्सट्रैक्शन एक्सपोर्ट ने बेहतर प्रदर्शन किया था। दक्षिण कोरिया, वियतनाम और थाईलैंड भारत के लिए खली के तीन प्रमुख एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन हैं।