नई दिल्ली। प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत देश में हर गरीब व्यक्ति को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ने की कोशिश की गई थी। ऐसे में अब तक करीब 42.83 करोड़ जन धन खाते खोले भी गए हैं, जिनमें करीब 1.43 लाख करोड़ रुपये का बैलेंस है। चिंता की बात ये है कि इनमें से 14 फीसदी यानी लगभग 5.82 करोड़ जन धन खाते तो इनऑपरेटिव या डॉरमेंट (how many jan dhan account inoperative) हो चुके हैं। यानी इन खातों में कोई लेन देन नहीं हो रहा है। आइए एक नजर डालते हैं आंकड़ों पर और समझते हैं कितनी बड़ी चिंता का विषय है ये।
हर 10 में से एक खाता इनऑपरेटिव
करीब 6 करोड़ जन धन खातों के इनऑपरेटिव होने की बात वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को राज्य सभा में कही। एक सवाल के लिखित जवाब में वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड ने कहा कि 28 जुलाई 2021 तक करीब 5.82 करोड़ जन धन खाते इन ऑपरेटिव हो चुके हैं। इस तरह देखा जाए तो लगभग हर 10 जन धन खातों में से एक खाता इनऑपरेटिव हो चुका है। इसमें से महिलाओं के नाम पर करीब 2.02 जन धन खाते हैं, जो कुल इनऑपरेटिव खातों का लगभग 35 फीसदी हैं।
कब इनऑपरेटिव हो जाता है बैंक खाता?
भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार जब किसी खाते में लगातार दो साल या उससे अधिक दिनों तक कोई लेन-देन नहीं होता है तो वह खाता इन ऑपरेटिव हो जाता है। यानी ये 5.82 करोड़ जन धन खाते ऐसे हैं, जिनमें कम से कम 2 साल से कोई लेन-देन नहीं हुआ है। ये चिंता का विषय इसलिए भी है क्योंकि सरकार की तमाम वेलफेयर स्कीम और ग्रामीण रोजगार गारंटी के तहत इन्हीं खातों में पैसे भेजे जाते हैं।
खाता इनऑपरेटिव होने से आपको क्या हैं नुकसान
- अगर आपका भी जन धन खाता है, जो इनऑपरेटिव हो चुका है इससे आपको कई नुकसान हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
- अगर आपने सरकार की तरफ से मिलने वाली किसी योजना के तहत अपने जन-धन खाते का नंबर दिया है तो आपके खाते में पैसे तो आएंगे, लेकिन वो पैसे आप निकाल नहीं पाएंगे।
- डोरमेंट हो चुके खाते से कोई भी ट्रांजेक्शन करने के लिए आपको पहले उसे एक्टिवेट कराना पड़ेगा। इसके लिए अधिकतर बैंक ब्रांच में आने के लिए कहते हैं।
- जन धन खाता इन ऑपरेटिव हो जाता है तो आपको इसमें मिलने वाला 2 लाख रुपेय का मुफ्त बीमा नहीं मिलेगा। यानी खाताधारक की मौत पर कोई मुआवजा नहीं मिलेगा।
- इतना ही नहीं, ऐसी स्थिति में आपको जन-धन खाते पर मिलने वाली ओवरड्राफ्ट की सुविधा भी नहीं मिलेगी।