नई दिल्ली। देश की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट और इसके संस्थापकों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) 1.35 अरब डॉलर यानी करीब 10,600 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा सकता है। वॉलमार्ट के मालिकाना हक वाली कंपनी को विदेशी निवेश कानूनों के उल्लंघन के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
विदेशी निवेश कानूनों के उल्लंघन का आरोप
बिन्नी बंसल और सचिन बंसल पर विदेशी निवेश कानूनों के उल्लंघन का आरोप है। मामले की जानकारी तीन सूत्रों और ईडी के एक अधिकारी ने रॉयटर्स को दी। इस संदर्भ में ईडी के अधिकारी ने बताया कि फ्लिपकार्ट पर आरोप है कि उसने विदेशी निवेश आकर्षित किया और फिर संबंधित पक्ष डब्ल्यूएस रिटेल ने उसकी शॉपिंग वेबसाइट पर कंज्यूमर्स को सामान बेचा। जबकि यह कानून के तहत प्रतिबंधित है। विदेशी निवेश कानूनों के लिए जांच एजेंसी फ्लिपकार्ट और अमेजन की जांच कर रही है।
सूत्रों के अनुसार, जुलाई में प्रवर्तन निदेशालय ने सचिन बंसल, बिन्नी बंसल और मौजूदा निवेशक टाइगर ग्लोबल को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसमें पूछा गया था कि उन पर 10,600 करोड़ रुपये का जुर्माना क्यों नहीं लगना चाहिए। दरअसल यह मामला साल 2009 से 2015 के बीच का है। विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) की विभिन्न धाराओं के तहत नोटिस जारी किया गया था।
पक्षों को नोटिस का जवाब देने के लिए 90 दिन का समय दिया गया है। मामले में फ्लिपकार्ट के एक प्रवक्ता ने कहा है कि कंपनी भारतीय कानूनों का पालन कर रही है और कंपनी अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग करेगी। वहीं सूत्र ने कहा कि डब्ल्यूएस रिटेल ने 2015 के अंत में ही अपना कामकाज बंद कर दिया था।
आईपीओ लाने को तैयार कंपनी
मालूम हो कि अमेरिका की खुदरा कंपनी वॉलमार्ट ने कहा था कि अपनी भारतीय ई-वाणिज्य इकाई फ्लिपकार्ट के लिए आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने को तैयार है। इस संदर्भ में वॉलमार्ट इंटरनेशनल की अध्यक्ष और सीईओ जुडिथ मैककेना ने ‘डीबी एक्सेस ग्लोबल कंज्यूमर कॉन्फ्रेंस’ में कहा था कि फ्लिपकार्ट और भुगतान एप फोन-पे दोनों लगातार अच्छा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, ‘हमने जिस दिन से अधिग्रहण या निवेश किया है उसी दिन हमने स्पष्ट किया है कि हम आईपीओ के लिए तैयार हैं।’