जमीन और मनुष्यों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए किसान जैविक खेती अपनाएं

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कोटा। जैविक खेती किसानों की आय बढ़ाने का अच्छा माध्यम है। ठोस तरल कचरा प्रबंधन को अपनाया जाए तो जैविक खाद के कारखाने गांव-गांव कस्बे- -कस्बे में खुल सकते हैं ।

सांगोद के पंचायत भवन में गत दिवस कंज्यूमर यूनिटी ट्रस्ट सोसायटी एवं रामकृष्ण शिक्षण संस्था भदाना के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में यह जानकारी कृषि एवं पर्यावरण विशेषज्ञों ने दी।

किसानों को रासायनिक खेती से बचने का आव्हान करते हुए उन्होंने कहा कि जैविक खेती महामारी से भी बचाने का बड़ा उपक्रम है। कट्स के परियोजना अधिकारी धर्मेंद्र चतुर्वेदी बताया कि राजस्थान के 10 जिलों में चल रही जैविक खेती प्रोत्साहन योजना को किसानों ने अपनाया है, जिससे उनकी आय भी बढ़ी है और पशुधन भी बर्बाद होने से बचा। सरकार की प्रधान मंत्री परम्परागत खेती विकास योजना का लाभ उठावें। रासायनिक खेती के दुष्परिणाम बीमारियों के रूप में सामने है। जमीन और मनुष्यों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी इसको बढ़ाना आवश्यक है।

सांगोद नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि राजेंद्र गहलोत ने कहा कि खेती की पुरानी संस्कृति को अपनाने की आवश्यकता है। इसके लिए नगर पालिका के जन प्रतिनधिगण जैविक कचरे का अलग से प्रबंध करने पर विचार करेंगे। सहायक कृषि अधिकारी हर गोविंद मेघवाल ने बताया कि रासायनिक खादों से जमीनों को बर्बाद कर दिया है। अधिक पैदावार के लालच से आज जैविक खेती की ओर लौटना पड़ रहा है।

मेघवाल ने प्रमाणित बीजों, तारंबंदी, परंपरागत खेती पर सरकारी योजनाओं की जानकारी दी। जल बिरादरी के सलाहकार कौशिक गायत्री परिवार के संचालक यज्ञदत्त हाड़ा ने कहा कि खेती का स्वास्थ्य बिगाड़ कर हम महामारी से छुटकारा नहीं पा सकते। उन्होंने औषधीय पौधों के वितरण की सरकारी योजनाओं की जानकारी दी। सहायक कृषि अधिकारी ज्ञानचंद जाटव ने विभाग संबंधी जानकारियां सांझा की।

कोटा एनवायरमेंटल सेनीटेशन सोसायटी के अध्यक्ष बृजेश विजयवर्गीय ने कहा कि ठोस, तरल संसाधन प्रबंधन से जैविक कचरे को उपयोगी बनाया जा सकता है। नगर पालिका पाॅलीथीन और प्लास्टिक कचरे को अलग अलग करवाने का उपक्रम करे तो कस्बा भी स्वच्छ होगा। उजाड़ नदी प्रदूषण मुक्त होगी और किसानों को जैेविक खाद भी मिलेगा। उन्होंने जैविक उत्पादों, अलसी, सरसों के तेल, मेथीदाना, साबुत अलसी आदि उत्पादों का प्रस्तुतिकरण किया जो कि जैविक प्रक्रिया से तैयार किए गए थे।

प्रारम्भ में आरके संस्थान भदाना के महामंत्री युधिष्ठिर चानसी ने कार्यशाला की भूमिका और कोटा जिले में विभिन्न स्थानों पर चल रहे जैविक जागरूकता कार्यक्रमों की जानकारी दी। हरिपुरा डंगायच के प्रगतिशील किसान नरेंद्र मालव ने जैविक खेती पर अनुभव बताते हुए कहा कि यह कहना सच नहीं है कि शुरूआत में उत्पादन कम होता है, सच तो ये है कि जैविक से आय भी अधिक होती है।