स्मृतिवन की भूमि को भामाशाह मंडी को देने के प्रस्ताव पर आपत्ति

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कोटा। अनंतपुरा स्थित वन विभाग की स्मृति वन की भूमि को भामाशाह कृषि उपज मण्डी समिति के विस्तार के लिए दिए के प्रस्ताव पर पर्यावरण प्रेमियों ने लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं वन विभाग के उच्चाअधिकारियों को पत्र प्रेषित कर आपत्ति जताई है और कहा कि यहां पर 1000 हैक्टेयर वन भूमि पर स्मृति वन विकसित करने की राजस्थान सरकार की योजना है। शहर को विकास के लिए हरियाली की ज्यादा जरूरत है। कोरोना काल में भी हम प्रकृति के संरक्षण का ध्यान नहीं रखेंगे तो फिर कब समझेंगे।

स्मृतिवन सलाहकार समिति के सचिव बृजेश विजयवर्गीय ने बताया कि समिति के संरक्षक गायत्री परिवार के मुख्य ट्रस्टी जीडी पटेल, ईको क्बल के डाॅ. एसएन शर्मा,पर्यावरण परिषद की गीता दाधीच एवं भारतीय सांस्कृतिक निधि (इंटेक) के सदस्य बायोलाॅजिस्ट डाॅ. कृष्णेंद्र सिंह,समाजसेवी नेमी चंद शर्मा, डाॅ. गोपाल धाकड़ आदि लोगों ने कहा कि वन विभाग की भूमि गैर वानिकी कार्यों के लिए प्रयोग में न ली जाए। सुप्रीम कोर्ट की गाईड लाईन के अनुसार इस पर हरियाली विकसित करने के निर्देश दिए गए है।

इन पर्यावरणप्रेमियों ने कहा कि अनंतपुरा स्थित वन विभाग के स्मृतिवन की भूमि को भामाशाह कृषि उपज मण्डी समिति के विस्तार के लिए दिए जाने का प्रस्ताव चिंताजनक है। पूर्व में स्मृतिवन के लिए वन विभाग 1000 हैक्टेयर का प्रस्ताव सरकार के पास स्मृतिवन विकसित करने के लिए भिजवा चुका है। समिति को पत्र संख्या 10903-05 दिनांक 31-10-19 के माध्यम से सूचित किया गया था कि 1000 हैक्टेयर की जमीन स्मृतिवन के संरक्षण व पौधारोपण के लिए है।

राज्य सरकार के पास 15.33 करोड़ के वन विकास कार्यों के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। यदि 480 बीघा में मण्डी का विस्तार किया जाना भी प्रस्तावित है तो ये जमीन स्मृति वन की ही कम होगी। इन लोगों ने वन विभाग से भी कहा है कि इस विरोधाभासी स्थिति को स्पष्ट किया जाए। सलाहकार समिति को तो 1000 हैक्टेयर में वन विकास की बात कही गई है।

हमें मण्डी के विस्तार पर कोई आपत्ति नहीं है। सिर्फ स्मृति वन के विकास को लेकर चिंता है। कि जब वन भूमि ही नहीं बचेगी तो वन विकास कैसे होगा। यहां पर कई बार वन महोत्सव मनाया जा चुका है जिसमें वन मंत्री समेत जन प्रतिनिधिगण व कलेक्टर तथा अन्य अधिकारीगण समाज सेवी शामिल हो चुके है। आज भी स्मृतिवन में एलन इंस्टीट्यूट के द्वारा पौधों को पानी पिलाया जा रहा है।