नई दिल्ली । 1 जुलाई से देशभर में लागू हुए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के बाद से ही कर विभाग के अधिकारियों की नजर कीमतों पर बनी हुई है। स्थानीय कर प्राधिकरण हैंडसेट और कंज्युमर गुड्स उत्पादकों और रेस्टोरेंट चेन से जीएसटी से पहले और बाद के इन्वॉयस की डिटेल मांग रहे हैं।
तमिलनाडु में स्थानीय कर अधिकारियों की ओर से किसी कंपनी को भेजे गए नोटिस में कहा गया, “जीएसटी के तहत कीमतों का अध्ययन करने के लिए, आपसे अनुरोध है कि आप अपनी शीर्ष वस्तुओं का बिक्री मूल्य भेज दें… प्रासंगिक प्रारूप में।”
ठीक इसी तरह का संदेश महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और पुडुचेरी में काम कर रहीं कंपनियों को भी भेजा गया है। यहां तक कि कुछ लोगों को कीमत जानकारी प्राप्त करने के लिए फोन कॉल भी किया गया है। इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सदस्य ने यह खुलासा किया है।
जीएसटी के कारण मुद्रास्फीति में किसी भी तरह की वृद्धि को रोकने के लिए सरकार तत्पर है, जैसा कि कुछ देशों में हुआ है जहां इस तरह का कर लागू किया गया है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऐसा न हो भारत ने दो-तरफा समाधान का विकल्प को चुना है।
वहीं जीएसटी काउंसिल ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि वस्तुओं को उसी स्लैब में रखा जाए जो उस दर के सबसे निकट हैं जहां पर वे पहले थीं। काउंसिल ने वस्तुओं एवं सेवाओं 5 फीसद, 12 फीसद, 18 फीसद और 28 फीसद के टैक्स दायरे में बांट दिया था।