इन्फोसिस में 2200 एम्प्लॉयीज कमा रहे करोड़ों

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बेंगलुरु।देश की दूसरी सबसे बड़ी इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी कंपनी इन्फोसिस में करोड़पतियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पिछले फाइनैंशल इयर के दौरान विदेश में मौजूद 1 करोड़ रुपये से अधिक सालाना सैलरी वाले एंप्लॉयीज की संख्या 2,200 से अधिक थी। यह संख्या फाइनैंशल इयर 2017 से 500 से अधिक है। इससे विदेश में अधिक एंप्लॉयीज को हायर करने के कंपनी के कदम के कारण कॉस्ट बढ़ने का संकेत मिल रहा है।

फाइनैंशल इयर 2017 में इन्फोसिस के 1,700 से अधिक एंप्लॉयीज की सैलरी 1 करोड़ रुपये से अधिक थी। इन्फोसिस के एक एग्जिक्यूटिव से हासिल किए गए फाइनैंशल इयर 2019 के डेटा में 1,700 से अधिक ऐसे एंप्लॉयीज शामिल नहीं हैं जिन्हें कंपनी की यूरोपियन ब्रांचों ने सीधे हायर किया है। यूरोपियन यूनियन के जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) के कारण यह डेटा हासिल नहीं किया जा सका।

इन्फोसिस ने 2017 से अमेरिका में 9,100 से अधिक लोगों को हायर किया है। यह कंपनी के सबसे बड़े मार्केट में 10,000 लोगों को रिक्रूट करने के पूर्व सीईओ विशाल सिक्का के लक्ष्य के अनुसार है। हालांकि इससे कंपनी की कॉस्ट भी बढ़ रही है। कंपनी ने पहले फाइनैंशल इयर 2020 के लिए 22-24 पर्सेंट के मार्जिन का अनुमान दिया था, जिसे घटाकर अब 21-23 पर्सेंट किया गया है।

अधिकतर इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी कंपनियां लोकलाइजेशन को बढ़ाने की स्ट्रैटिजी पर चल रही हैं। इस वजह से टैलेंट को हासिल करने के लिए प्रतिस्पर्द्धा बढ़ गई है और एंप्लॉयी कॉस्ट में भी वृद्धि हो रही है। IT कंसल्टेंसी एवरेस्ट रिसर्च के CEO बेंडर सैमुअल ने बताया, ‘पहले विदेश में कम सैलरी और फ्रेशर्स की बड़ी संख्या का इस्तेमाल करने से मार्जिन को 20 पर्सेंट से अधिक रखा जाता था। मार्केट में डिजिटल की डिमांड बढ़ने से अब कॉस्ट में भी इजाफा हुआ है। डिजिटल स्किल्स वाले एंप्लॉयीज की कमी है और इनकी एक घंटे की कॉस्ट 150 डॉलर से अधिक तक हो सकती है।’

इस बारे में इन्फोसिस ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। विदेश में अधिक सैलरी लेने वालों में कंपनी के पुराने एंप्लॉयीज के साथ ही अधिग्रहण के जरिए आए लोग भी हैं। इस लिस्ट में पाल हाइन्स शामिल हैं, जो पहले नोआ कंसल्टिंग के डायरेक्टर थे और अब इन्फोसिस कंसल्टिंग के असोसिएट पार्टनर हैं। इन्हें फाइनैंल इयर 2019 में 6.9 करोड़ रुपये की सैलरी मिली थी। इन्फोसिस कंसल्टिंग के वाइस प्रेजिडेंट और पार्टनर जॉन ब्रिजि की सैलरी 5.7 करोड़ रुपये थी।

मौजूद डेटा से पता चलता है कि इन्फोसिस के कुछ अधिग्रहणों की लागत अधिक है। हालांकि, एनालिस्ट्स का कहना है कि ऑटोमेशन और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस जैसी नई टेक्नॉलजी से इन्फोसिस के लिए डिलिवरी की कॉस्ट कुछ कम हो सकती है।