कोटा। पिछले कुछ दिनों से सभी कृषि जिसों में गिरावट का रुख बना हुआ है। धान के दाम भी पिछले 15 दिन में 700 से 800 रुपये किवंटल तक गिर चुके हैं। इस बारे में LEN-DEN NEWS ने चावल के एक्सपोर्टर नीलेश पटेल से बात की। उनका मानना है कि धान में रमजान के बाद तेजी की धारणा बन रही है। प्रस्तुत है वार्ता –
धान में गिरावट की वजह क्या है, नोटबंदी या एक्सपोर्ट ?
धान में गिरावट नोटबंदी से नहीं बल्कि एक्सपोर्ट बंद होने से है।चावल एवं धान में गिरावट तो तभी शुरू हो गई थी, जब ईरान फ़ूड एक्सपो में कारोबार नहीं हुआ। इन दिनों रमजान चल रहा है। इसलिए ईरान में एक्सपोर्ट बंद है। गिरावट पिछले 20 दिन में आई है। चावल का निर्यात जो पहले 6500 रुपये क्विंटल चल रहा था इन दिनों 5500 रुपये क्विंटल रह गया है। सभी किस्मों के धान और चावल के दाम टूटे हैं।
मार्च, अप्रैल में क्या स्थिति थी ?
जो धान उस समय 3500 से 3600 रुपये क्विंटल बिक रहा था , अब 2800 से 2900 से के बीच आ गया है। यही हाल एक्सपोर्ट का है। 6500 का चावल 5500 रुपये क्विंटल रह गया। यानी धान में 700 से 800 और चावल में 1000 रुपये क्विंटल की गिरावट है।
भाव कब तक ठीक हो सकते हैं ?
ईरान से आयात शुरू होते ही भाव वापस सुधर सकते हैं। सम्भवतः रमजान के बाद भावों में तेजी की शुरुआत हो सकती है। इन दिनों धान-1121 का भाव 2800-2900, पूसा-1 का भाव 2600-2700, सुगंधा 2500 से 2600 और 1509 का भाव 2500 से 2600 रुपये क्विंटल रह गया है।
चावल के भाव ( प्रति क्विंटल)
किस्म पहले अब
पूसा -1121 6500 5500
पूसा-1 6200 5200
सुगंधा 5000 6000
1509 6300 5300