बाड़मेर रिफाइनिंग यूनिट का काम पूरा, प्रोडक्शन को लेकर परीक्षण जनवरी में

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जयपुर। Barmer Refining Unit: राजस्थान के बाड़मेर में कच्चे तेल के शोधन का कार्य 2025 के पहले महीने से शुरू हो सकता है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि हिंदुस्तान पेट्रोकेमिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) की आगामी 90 लाख टन सालाना (एमएमटीपीए) क्षमता की रिफाइनरी की कई यूनिट की प्री-कमिशनिंग का काम पूरा किया जा चुका है।

उन्होंने कहा कि पूरे पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स का मकैनिकल निर्माण कार्य 82 प्रतिशत पूरा हो चुका है और निर्धारित समय से 12 महीनों के भीतर क्षमता को दोगुना करने की योजना है। उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा, ‘रिफाइनिंग यूनिट का काम पूरा किया जा चुका है।

प्रोडक्शन को लेकर परीक्षण जनवरी में शुरू होगा। मार्च और उसके बाद से कमिशनिंग गतिविधियां शुरू हो जाएंगी।’ इस रिफाइनरी में 29 प्रॉसेस यूनिट होंगी, जिनमें 4.4 एमएमटीपीए की वैक्यूम डिस्टिलेशन यूनिट और 1.8 एमएमटीपीए क्षमता की नैफ्था हाइड्रोट्रीटर यूनिट शामिल हैं। इन्हें पूरा किए जाने का काम विभिन्न चरणों में है।

देश की सबसे बड़ी एकीकृत नई रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स, राजस्थान रिफाइनरी प्रोजेक्ट (आरआरपी) की घोषणा 2013 में की गई थी। इसका काम पूरा करने की तिथि कई बार बढ़ाई गई। सरकार द्वारा संचालित इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) की पारादीप रिफाइनरी भारत की अंतिम एकल रिफाइनरी है, जहां 2016 में उत्पादन शुरू हुआ था।

इसकी सालाना क्षमता 150 लाख टन है। इसके बाद से कई रिफानइरी ने विस्तार परियोजनाओं पर काम किया, लेकिन एचपीसीएल राजस्थान रिफाइनरी लिमिटेड (एचआरआरएल) पहली एकल रिफाइनरी होगी, जो विकसित की जा रही है।

यह रिफाइनरी 24 लाख टन से ज्यादा पेट्रोकेमिकल्स का उत्पादन करेगी। यह विश्व की सबसे बड़ी पॉली प्रोपलीन की इकाई होगी, जहां 30 से ज्यादा अलग अलग पॉलिमर ग्रेड का निर्माण और बीएस-6 ग्रेड के पेट्रोल व डीजल का उत्पादन होगा।

अधिकारियों ने बताया कि विभिन्न इकाइयों के चालू होने के बाद यह परिसर पहले वर्ष में 75 से 80 प्रतिशत क्षमता पर काम करेगा। एसऐंडपी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स का मानना है कि रिफाइनरी को 83 प्रतिशत से अधिक आयातित मध्यम श्रेणी के कच्चे तेल और शेष घरेलू कच्चे तेल के साथ चलाने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें रूसी यूराल ग्रेड का कच्चा तेल पसंदीदा विकल्प होगा।

एसऐंडपी ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स में साउथएशिया ऑयल रिसर्च के प्रमुख अभिषेक रंजन ने कहा, ‘रिफाइनरी अपने क्रूड बॉस्केट के विविधीकरण का प्रयास करेगी, जिससे बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित हो सके क्योंकि भविष्य में रूसी तेल की कमी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

अरबियन और बसरा ग्रेड अगली शीर्ष तीन कच्चे तेल की श्रेणी है, जिसका इस्तेमाल होगा।’ एचपीसीएल, बाड़मेर में केयर्न द्वारा संचालित निकटवर्ती मंगला तेल क्षेत्र से उत्पादित तेल की आपूर्ति भी चाहती है, क्योंकि इसके लिए उसके पास एक समर्पित पाइपलाइन है।

आरआरपी का निर्माण एचपीसीएल राजस्थान रिफाइनरी लिमिटेड (एचआरआरएल) द्वारा किया जा रहा है, जो एचपीसीएल और राजस्थान सरकार के बीच 2013 में स्थापित एक संयुक्त उद्यम है। एचआरआरएल में एचपीसीएल की हिस्सेदारी 74 प्रतिशत है, वहीं शेष 26 प्रतिशत हिस्सेदारी राजस्थान सरकार की है। परियोजना में देरी के कारण इसकी लागत में बढ़ोतरी हुई है।

अब तक देश में एक स्थान पर सबसे ज्यादा निवेश से स्थापित रिफाइनरी को तैयार करने की नई अंतिम तिथि 2022 तय की गई थी। एचआरआरएल ने तब यह भी कहा था कि सभी वैधानिक अनुमतियां मिलने की अंतिम तिथि से 4 वर्षों के भीतर परियोजना पूरी कर ली जाएगी।