प्रकृति को नुकसान करके अधिक उपज लेने का विचार विनाशकारी है: पद्मश्री पाटीदार

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बीज, पशुपालन और जैविक आयाम पर चल रहे तीन दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग का दूसरा दिन

कोटा। भारतीय किसान संघ चित्तौड़ प्रांत के श्रीरामशांताय जैविक कृषि अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र कैथून रोड़ जाखोड़ा पर बीज, पशुपालन और जैविक आयाम पर चल रहे तीन दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग में शनिवार को पद्मश्री हुकुम पाटीदार ने जैविक कृषि से किसान की आमदनी के बारे में विस्तार से जानकारी दी। वहीं राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के पूर्व कंसल्टेंट महेंद्र कुमार गर्ग ने पशुपालन और गौसेवा सम्बंधी उपयोगी जानकारी रखी।

पद्मश्री हुकुम पाटीदार ने कहा कि भारत का किसान अन्न को ब्रह्म और कृषि को उपासना मानता है। प्रकृति के नुकसान का विचार भारतीय किसान नहीं कर सकता। पश्चिमी विचार ने किसान के मन में यह बिठा दिया है कि उसका भला अधिक पैदावार से ही होगा। पश्चिम के इस विचार ने उपज की गुणवत्ता को गौण कर दिया है।

अधिक पैदावार की होड़ में हम धरती, वायु, जल समेत पंच महाभूत को प्रदूषित कर रहे हैं। प्रकृति को नुकसान करके अधिक उपज लेने का विचार प्रकृति विरोधी और किसान विरोधी होने के साथ विनाशकारी भी है।

नवीन प्रयोगों से यह स्पष्ट हुआ है कि अनियंत्रित यूरिया के उपयोग से धरती में सोडियम व पोटैशियम की कमी आई है। जिससे मानव शरीर में हार्ट से संबंधित समस्याएं बढ़ने लगी हैं। जैविक कार्बन धरती का प्राण है। इसकी कमी से धरती बंजर होने लगती है। बीज में उगने की क्षमता समाप्त हो जाती है। धीरे-धीरे शरीर और धरती से इन पोषक तत्वों की कमी होती चली जाएगी।

उन्होंने कहा कि हमारी कृषि बाजार आधारित नहीं है। जैविक कृषि से किसान की लागत में कमी लाई जा सकती है, लेकिन जैविक खेती के नाम पर बाजार में आ रही मल्टीनेशनल कंपनियों से भी बचने की जरूरत है। हम गौ आधारित, पर्यावरण आधारित जैविक खेती को बढ़ावा देने की बात करते हैं। भारतीय किसान संघ किसानों को मल्टीनेशनल कंपनियों के जाल में फंसने से बचाने के लिए भी व्यापक अभियान चलाएगा।

राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के पूर्व कंसल्टेंट महेंद्र कुमार गर्ग ने बताया कि पशुओं में नमक की आपूर्ति पर्याप्त रखनी चाहिए। पशु को 12 महीने में ब्याहना जरूरी है। पशु को ब्याहने के दो माह पूर्व से बांटा देना शुरू कर देना चाहिए। जिससे उसके दूध की मात्रा में वृद्धि होती है।

अखिल भारतीय बीज प्रमुख कृष्णमुरारी ने कहा कि भारत में अनेक आक्रमणों ने हमारे जल, जंगल, जमीन, खेती, गाँव, गरीब सबको बर्बाद करने का काम किया है। प्रदेश जैविक प्रमुख प्रह्लाद नागर ने कहा कि किसान के उत्थान से ही राष्ट्र का उत्थान संभव है। राष्ट्र निर्माण के लिए संगठन सर्वाधिक जरूरी है। प्रान्त बीज प्रमुख और वर्ग समन्वयक डॉ. राजेंद्र बाबू दुबे ने कहा कि भारतीय किसान संघ केवल आंदोलन नहीं करता, बल्कि रचनात्मक कार्य भी करता है। देश के पर्यावरण, जहर मुक्त खेती, व्यसन मुक्त समाज के निर्माण का कार्य भी व्यापकता से कर रहे हैं।

प्रान्त संगठन मंत्री परमानन्द ने कहा कि भारतीय किसान संघ देशभर में सक्रिय और आदर्श ग्राम समितियाँ खड़ी करने का काम कर रहा है। डॉ. पवन के टाक द्वारा जैविक खेती की समग्र अवधारणा विषय पर व्याख्यान दिया। इस दौरान प्रांत जैविक प्रमुख बाबू सिंह रावत ने भी विचार रखे। प्रान्त प्रचार प्रमुख आशीष मेहता ने बताया कि रविवार को वर्ग का समापन किया जाएगा।