नई दिल्ली। सोने की कीमतें 17 साल में 6 गुना तक बढ़ कर 60000 रुपये प्रति 10 ग्राम के पार हो चुकी हैं । केडिया एडवाइजरी के प्रेसिडेंट अजय केडिया ने बताया कि 5 मई 2006 को सोना 10000 रुपये प्रति 10 ग्राम के लैंडमार्क पर पहुंचा था।
इसके बाद उसे 20000 रुपये के लैंडमार्क तक पहुंचने में करीब 4 साल लग गए। 6 नवंबर 2010 को सोना 20000 पर पहुंचा और इसके 20 महीने बाद 1 जून 2012 को सोना 30000 के माइल स्टोन पर पहुंच गया।
इसके बाद गोल्ड को 40000 तक के मंजिल तक पहुंचने के लिए लंबा सफर तय करना पड़ा। तीन जनवरी 2020 को 40000 रुपये पर पहुंचा। इसके बाद 40000 से 50000 तक पहुंचने में बहुत अधिक वक्त नहीं लगा और केवल 6 महीने से भी कम वक्त लगा।
इसके 3 साल के अंदर ही सोना अब नए ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया है। पहली बार एमसीएक्स पर सोने ने 60000 के पार पहुंच कर इतिहास रच दिया है। केडिया के मुताबिक पिछले तीन महीने में सोने ने जहां 14 फीसद का रिटर्न दिया है वहीं, निफ्टी करीब 7 फीसद और सेंसेक्स 5.73 फीसद टूटा है।
वहीं, ऐशप्रा जेम्स एंड ज्वेल्स के निदेशक वैभव सराफ ने बताया कि हाल की वित्तीय घटनाओं से सोने की कीमतों में भारी उछाल आया है और इसका असर बाजार में दिखाई दे रहा है, जो वित्तीय वर्ष के अंत और शादियों के सीजन के समाप्त होने के कारण पहले से ही स्थिर था। सोना भारतीय उपभोक्ता के लिए एक भावनात्मक मूल्य रखता है और कोई भी मूल्य वृद्धि अगर टिकाऊ हो तो उपभोक्ता आसानी से पचा सकता है।
सोने की कीमत कब कितनी रही
तारीख | दाम (रुपये प्रति 10 ग्राम ) |
5 मई 2006 | 10000 |
6 नवंबर 2010 | 20000 |
1 जून 2012 | 30000 |
3 जनवरी 2020 | 40000 |
20 मार्च 2023 | 60100 |
सोने की चमक और बढ़ेगी
अल्फा कैपिटल के सह-संस्थापक डॉ मुकेश जिंदल ने कहा, “निकट अवधि में सोने के अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है, क्योंकि सोने को अमेरिकी डॉलर से फायदा होता है। डॉलर इंडेक्स गिरने पर सोना बढ़ता है। यूएस डॉलर इंडेक्स 22 अक्टूबर से गिर रहा है और सोने की कीमत भी 22 अक्टूबर से बढ़ रही है। यह प्रवृत्ति जारी रहने की उम्मीद है।” उन्होंने कहा कि सिलिकॉन वैली बैंक संकट के बाद 2023 में दरों में कटौती करेगा और इससे अमेरिकी डॉलर कमजोर होगा। इसलिए उम्मीद है कि आने वाले महीनों में सोना अच्छा प्रदर्शन करेगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना एक साल से अधिक समय में पहली बार 2,000 डॉलर प्रति औंस से ऊपर चढ़ा।