सेंसेक्स जल्दी ही एक लाख अंक को छुएगा, 2017 में भविष्यवाणी की थी

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नई दिल्ली। बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) शुक्रवार को 60,000 अंक पर पहुंच गया। 50 हजार से 60 हजार तक पहुंचने में इसे केवल 166 सेशन लगे। अगर सेंसेक्स की रफ्तार इसी तेजी से बढ़ती रही तो यह जल्दी ही 100000 अंक तक पहुंच सकता है। मोर्गन स्टेनली (Morgan Stanley) में इक्विटी स्ट्रैटजिस्ट रिधम देसाई ने नंवबर 2017 में भविष्यवाणी की थी कि सेंसेक्स 4-5 साल में 100,000 अंक तक पहुंच सकता है।

देसाई ने एक बिजनस चैनल से बातचीत में यह भविष्यवाणी की थी। यह वह दौर था जब सेंसेक्स 33,500 के स्तर पर था और फंड मैनेजरों के लिए दलाल स्ट्रीट पर पैसा बनाना मुश्किल हो रहा था। देसाई ने तब कहा था कि भारतीय मार्केट्स बड़ी रैली की दहलीज पर हैं क्योंकि सारे इंडिकेटर इसका इशारा कर रहे हैं। तब देसाई के इस बयान पर बाजार के जानकारों की राय बंटी हुई थी। लेकिन उनमें से कुछ ही देसाई की भविष्यवाणी को भाव दे रहे थे। गनीमत यह रही कि देसाई को तब ट्रोल नहीं किया गया।

आगे कैसी रहेगी चाल
देसाई की इस भविष्यवाणी के करीब 4 साल बाद सेंसेक्स 60,000 अंक पर पहुंच गया है। दलाल स्ट्रीट के निवेशकों का मानना है कि अब यह 100,000 अंक के आंकड़े तक पहुंच सकता है। उनका कहना है कि भारत का मार्केट कैप 5 लाख करोड़ डॉलर के पार पहुंच सकता है जो अभी 3.6 लाख करोड़ डॉलर है। इससे देश की जीडीपी भी कुलांचे मार सकती है। उनका कहना है कि शेयर बाजारों में तेजी आगे जारी रह सकती है क्योंकि सभी संकेत इसका इशारा देते हैं।

इस साल शेयर बाजार में आई तेजी से निवेशकों को 75 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई है। बीएसई का मार्केट कैब 263 लाख करोड़ रुपये पहुंच चुका है। शुक्रवार को सेंसेक्स 60,159 अंक पर खुला, कारोबार के दौरान 60,333 अंक तक गया और 60,048 अंक पर बंद हुआ। शेयर बाजार में हालिया तेजी की वजह अमेरिकी सेंट्रल बैंक के चीफ का बयान है। उनका कहना है कि 2023 के मध्य तक ईजी मनी का प्रवाह जारी रहेगा। इससे दुनियाभर के शेयर बाजारों में तेजी आई है। पिछले 2 सत्र में सेंसेक्स 1,100 अंक चढ़ चुका है।

क्या हैं जोखिम
आदित्य बिड़ला सन लाइफ म्युचुअल फंड के एमडी एवं सीईओ ने कहा कि फंड्स के निरंतर प्रवाह, मार्केट में सेक्टोरल रोटेशन और त्योहारी सीजन से पहले इकॉनमी के खुलने से शेयर बाजारों में आगे तेजी जारी रहेगी। हालांकि बेकाबू महंगाई, चीन के रियल सेक्टर के कारण वैश्विक कर्ज संकट की आशंका और विदेशों फंडों के भारत में खरीदारी की रफ्तार धीमी करने से शेयर बाजारों की रफ्तार थमने का जोखिम है।
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