हर बच्चे की अपनी खासियत, इसलिए अलग होना चाहिए पढ़ाने-सीखने का तरीका भी

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टेड टॉक में बोले मोशन के सीईओ नितिन विजय

कोटा। Ted Talk In Motion: मोशन एजुकेशन के संस्थापक और सीईओ नितिन विजय ने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली हर बच्चे के लिए एक जैसी है जबकि ईश्वर ने हर बच्चे को अपनी कमियों और खासियतों के साथ बनाया है। इसलिए हर बच्चे को पढ़ाने-सिखाने का तरीका भी अलग होना चहिए।

नितिन विजय रविवार को कॅरियर पाइंट यूनिवर्सिटी में टेड टॉक के तहत संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आज से करीब दो शताब्दी पहले तक हमारे देश में गुरुकुल प्रणाली प्रचलित थी। उसमें गुरु को प्रत्येक बच्चे के कौशल, मानसिक क्षमता और सीखने की गति की गहरी समझ होती थी।

गुरुकुल प्रणाली से पढ़े पांडवों का उदाहरण हमारे सामने है। द्रोणाचार्य ने उनको जो सिखाया उसके आधार पर युधिष्ठिर अपनी नैतिकता, भीम गदा, अर्जुन धनुर्विद्या, नकुल तलवारबाजी और सहदेव बुद्धिमत्ता के लिए जाने गए। अगर सभी को एक ही जैसी शिक्षा दी जाती तो उनकी योग्यता में इतनी विविधता कभी नहीं होती।

अभी प्रचलित शिक्षा का संस्थागत मॉडल स्केलेबिलिटी और सामर्थ्य लेकर आया, जिससे शिक्षा बड़ी आबादी को सुलभ हो गई। हालाँकि, यह दृष्टिकोण वैयक्तिकरण की कीमत पर आया। आज हम एक ही तरह की एजुकेशन सभी बच्चों को दे रहे हैं। शिक्षा का यह मॉडल केवल 5-7% विद्यार्थियों, जिन्हें टॉपर माना जाता है, की जरूरतों को ही पूरा करता है।

एक समय था जब स्कूल-कॉलेज में जो पढ़ लिया, उसी से जिंदगी निकल जाती थी लेकिन आज-कल हर 5 साल में सब कुछ बदल जाता है। ऐसे में ऐसी शिक्षा प्रणाली की जरूरत है जो जिसमें सीखने-सिखाने और सीखे को अप्लाई करने पर जोर हो। इसके लिए शिक्षा में तकनीकी का उपयोग बढ़ाने की दरकार है।

जैसे हर मरीज की बीमारी अलग-अलग होती है तो इलाज भी अलग होता है। ऐसे ही एजुकेशन में हर विद्यार्थी के सीखने की क्षमता, कमियां और खासियत अलग-अलग होती है। उसी के मुताबिक उसकी पढाई की जर्नी और प्रक्टिस भी होनी चाहिए।

मोशन एजुकेशन शिक्षा के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग करता रहता है। आपने साइंस फिक्शन में पढ़ा होगा कि एक मशीन होती है जो इंसान का दिमाग पढ़ लेती है। मोशन की टीम ने ऐसी ही मशीन पर कई साल काम किया है। इससे कमजोर से कमजोर ओर अत्यंत जहीन बच्चों को, उनकी क्षमता के मुताबिक बेहतर से बेहतर तैयारी करवाई जा रही है।

हम विद्यार्थियों की कमियों को समझने और उनको दूर करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल कर रहे हैं। हमारी अडेप्टिव कांसेप्चुअल प्रॉब्लम शीट मशीन विद्यार्थी का दिमाग पढ़कर उसकी कमी और मजबूती के हिसाब से प्रेक्टिस के लिए परसनलाइज सवाल देती है।

इसमें होता यह है कि जब विद्यार्थी मोशन लर्निग एप के जरिए प्रक्टिस करता है या टेस्ट देता है तो उसका एल्गोरिदम विद्यार्थी की कमियों, कमजोरियों को भांप लेता है और उसी के मद्देनजर प्रक्टिस शीट देता है। हर बच्चे को उसके स्तर के अनुकूल अलग-अलग कस्टमाइज प्रेक्टिस शीट जैसे इजी, मीडियम या टफ मिल रही है।

मोशन लर्निग एप पर इसके सोल्यूशन भी उपलब्ध हैं। इस प्रकार कमजोर विषय की बार-बार प्रक्टिस होती है और एग्जाम से पहले ही कमजोरी दूर हो जाती है। इससे इससे आईआईटी, नीट की तैयारी आसान हुई है और कमजोरी दूर होने से एवरेज बच्चों के सलेक्शन का अनुपात बढ़ रहा है।

उन्होंने बताया कि मैंने आईआईटी के फर्स्ट ईयर में ही पढ़ना शुरू कर दिया था। उसी दौरान मैंने महसूस किया कि स्टूडेंट मेरे साथ कनेक्ट हो रहे हैं। मैं भी एक टीचर के रूप में उनसे जुड़ रहा था। बच्चों का खूब प्यार मिला। मैं भाग्यशाली हूं कि जो मुझे पसंद था और जो करने की काबिलियत मुझमें थी, वही मुझे करने को मिला।

आज मुझे लगता है- अच्छा पढ़ने के पीछे नॉलेज नहीं, उसको डिलीवर करने का तरीका है। आज मैं ऐसा शिक्षक हूं जो शिक्षा जगत और बच्चों के साथ खूब आनंदित रहता है। मैं चाहता हूं कि भगवान आने वाले सौ जनम में भी मुझे शिक्षक ही बनाए।