राजस्थान विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पास

672

जयपुर। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ संकल्प प्रस्ताव पास करने वाला राजस्थान तीसरा राज्य बन गया है। इससे पहले केरल और पंजाब विधानसभा में भी इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव पास किया गया है। इस संकल्प प्रस्ताव में सीएए को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए कहा गया है कि इससे देश का पंथनिरपेक्ष ताना-बाना जोखिम में पड़ जाएगा। इसमें केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है कि इस कानून को निरस्त किया जाए।

राज्य के संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने इससे पहले यह संकल्प प्रस्ताव सदन में रखा था। उन्होंने कहा कि संविधान की एक आधारभूत विशेषता है, जिसे परिवर्तित नहीं किया जा सकता। संकल्प प्रस्ताव में कहा गया कि संसद द्वारा हाल ही में पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (सीएए) का लक्ष्य धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों में विभेद करना है। इसके अनुसार धर्म के आधार पर लोगों में ऐसा विभेद संविधान में वर्णित पंथनिरपेक्ष आदर्शों के अनुरूप नहीं है और यह स्पष्ट रूप से अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।

बीजेपी ने प्रस्ताव पर उठाए सवाल
संकल्प पत्र में केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है कि सीएए को निरस्त किया जाए। इसके साथ ही राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर), 2020 के अद्यतन के लिए मांगी जाने वाली नई सूचनाओं को भी वापस लेना चाहिए। जब संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल इस आशय का संकल्प पेश करने उठे तो नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया। उन्होंने कहा कि संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद सीएए पहले ही कानून बन चुका है, ऐसे में इस तरह संकल्प पत्र पेश करने का औचित्य नहीं है।

हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी ने उनकी आपत्ति को खारिज करते हुए इसे जन अभिव्यक्ति का हिस्सा बताया। इसके बाद विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक ‘सीएए लागू करो’ के नारे लगाते हुए आसन के सामने आ गए। धारीवाल ने शोरशराबे के बीच संकल्प पत्र पढ़ा। बताते चलें कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार भी इस कानून के खिलाफ जल्द ही प्रस्ताव लाने वाली है। इसके अलावा अन्य कांग्रेस शासित राज्य भी इस कानून का विरोध कर रहे हैं और वे भी जल्द ही इसके खिलाफ प्रस्ताव ला सकते हैं।

आपको बता दें कि कांग्रेस शुरुआत से ही इस कानून का विरोध कर रही है। कांग्रेस शासित राज्यों ने इस कानून को लागू करने से इनकार कर दिया है। इस दिशा में पहला कदम केरल की लेफ्ट सरकार ने उठाया। लेफ्ट सरकार ने राज्य की विधानसभा में इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया। इसके बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने भी इस कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया।

छह धर्मों के शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान
गौरतलब है कि सीएए के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए छह धर्मों के शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है। इसके तहत कहा गया कि नागरिकता केवल उन्हीं को दी जाएगी, जो धार्मिक प्रताड़ना के चलते भारत आए। साथ ही 31 दिसंबर, 2014 के पहले ही भारत आए लोगों को नागरिकता देने का नियम तय किया गया है। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार धार्मिक आधार पर नागरिकता दे रही है, जोकि संविधान के खिलाफ है।