नई दिल्ली। सरकार के ऊपर विभिन्न पेंशन योजनाओं का कुल 9,116.7 करोड़ रुपए बकाया है। इनमें से कुछ बकाया 1995-96 से है। इसी वर्ष कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) की शुरुआत हुई थी। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने इस बकाए का भुगतान करने के लिए वित्त मंत्रालय को एक पत्र लिखा है।
ईपीएफओ निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए तीन योजनाओं का संचालन करता है। ये हैं एंप्लाईजी प्रोविडेंट फंड स्कीम, एंप्लाईज पेंशन स्कीम (ईपीएस) और एंप्लाईज डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम। इन योजनाओं में कर्मचारी का योगदान उसके वेतन (बेसिक आय और महंगाई भत्ता) का 12 फीसदी होता है।
इतना ही योगदान कर्मचारी के नियोक्ता की ओर से होता है। नियोक्ता के योगदान का 8.33 फीसदी हिस्सा ईपीएस में चला जाता है। इसके अलावा कर्मचारी के वेतन का 1.16 फीसदी योगदान सरकार की ओर से कर्मचारी के पेंशन खाते में किया जाता है। इसके अलावा सरकार ने सितंबर 2014 में न्यूनतम पेंशन योजना भी लांच की थी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक 1,000 रुपए की न्यूनतम पेंशन योजना के मद में ईपीएफओ का सरकार के ऊपर 1,051.42 करोड़ रुपए बकाया है। यह बकाया 1914 से है, जब यह योजना लागू हुई थी। राजग सरकार द्वारा घोषित इस योजना के तहत सभी लाभार्थियों को कम से कम 1,000 रुपए मासिक पेंशन देन का वादा किया गया है।
इस योजना का लाभ हर साल करीब 18 लाख पेंशन भोगियों को मिलता है। सरकार ने कहा था कि चूंकि इस योजना का पूरा खर्च ईपीएफओ खुद नहीं उठा सकता है, इसलिए सरकार उसे हर साल करीब 800 करोड़ रुपए का अनुदान देगी। ईपीएस में सरकार के योगदान (1.16 फीसदी ) के मद में ईपीएफओ का सरकार के ऊपर कुल 8,063.66 करोड़ रुपए बकाया है। यह बकाया 1995-96 से लेकर 31 मार्च 2019 तक का है।
सरकार के ऊपर ईपीएफओ का 1.62 करोड़ रुपए का बकाया पीएम श्रम योगी मान-धन योजना के मद में है। इस योजना का प्रबंधन करने में ईपीएफओ को इतनी राशि खर्च हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक सरकार न्यूनतम पेंशन योजना और ईपीएस के लिए अपने अंश का भुगतान तो कर रही है, लेकिन वह समुचित नहीं है।
बकाए का मुद्दा ईपीएफओ के केंद्रीय प्रोविडेंट फंड आयुक्त सुनील बर्थवाल ने चार सितंबर को एक बैठक के दौरान श्रम मंत्रालय के सामने उठाया था। बैठक में श्रम और रोजगार सचिव हीरालाल समरिया ईपीएफओ को सलाह दी थी कि वह बकाए को लेकर व्यय सचिव जीसी मुर्मू को पत्र लिखे। सरकार अभी वेतन के 8.33 फीसदी हिस्से का भुगतान हर महीने 15,000 रुपए तक कर्मचारियों के ईपीएस खाते में कर रही है।