सरकार का दंडात्मक अपराधों को जीएसटी कानून से हटाने पर विचार

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नई दिल्ली। भारत सरकार भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत आने वाले दंडात्मक अपराधों को जीएसटी कानून से हटाने पर विचार कर रही है, जिससे जीएसटी के स्वरूप को करदाता के लिए अधिक आसान बनाया जा सके। ये जानकारी एक अधिकारी की ओर से दी गई।

एक रिपोर्ट में बताया गया कि जीएसटी कानून को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के इस प्रस्ताव पर फैसला जीएसटी परिषद की आने वाली बैठक में हो सकता है। एक बार जीएसटी परिषद इसे मंजूरी दे देती है। फिर वित्त मंत्रालय जीएसटी कानून में संशोधन करेगा और इसे आने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है।

रिपोर्ट में अधिकारी के हवाले से बताया गया कि जीएसटी को अपराध की श्रेणी से बाहर करने को लेकर पूरी तैयारी कर ली गई है। इसके लिए जीएसटी की धारा 132 में बदलाव को भी अंतिम रूप दे दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि आईपीसी के तहत आने वाले सभी अपराधों को जीएसटी कानून से हटा दिया जाएगा। जीएसटी परिषद से मंजूरी मिलने के बाद इसमें वित्त मंत्रालय के द्वारा संशोधन किया जाएगा और संसद में पास होने के लिए भेजा जाएगा।

ये हो सकते हैं बदलाव

  • जीएसटी कानून को अपराध की श्रेणी से नकली बिल, बिना सही इनवॉइस के सामान और सर्विसेज की आपूर्ति करने और बिना सामान की आपूर्ति के बिल बनाना आदि को हटाया जा सकता है।
  • इसके साथ ही इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए नकली बिल बनाने को भी आईपीसी के तहत कवर किया जा सकता है।
  • आईपीसी की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी के लिए सात साल तक की सजा हो सकती है।
  • जबकि जीएसटी में समान अपराध के लिए 5 साल की सजा है।
  • मौजूदा समय में जीएसटी की धारा 132 के तहत टैक्स चोरी कितनी बड़ी है, उसके मुताबिक सजा सुनाई जाती है।