संगोष्ठी में किसानों ने जाना जैविक खाद का सफल प्रयोग

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कोटा। किसानों की दो दिवसीय अमुखी करण कार्यशाला में कोटा जिले के चयनित प्रगतिशील किसानों ने खाद्यान्न में गुणवत्ता की महत्ता को स्वीकार करते हुए परम्परागत एवं जैविक खेती को प्रोत्साहन में उत्साहपूर्वक रूचि का प्रदर्शन किया।

रामकृष्ण शिक्षण संस्था- भदाना एवं कंन्ज्यूमर यूनिटी ट्रस्ट सोसायटी- जयपुर,स्वीडिश सोसायटी फाॅर नेचर कंजर्वेशन के तत्वावधान में राज्य कृषि प्रबंध संस्थान के भवन में आयोजित कार्यशाला में किसानों को जैविक उत्पादों और जैविक खेती को अपना रहे किसानों से परिचित कराया। आरके संस्थान के महासचिव युधिष्ठिर चानसी ने बताया कि कट्स के कार्यक्रम अधिकारी धर्मेंद्र चतुर्वेदी ने रासायनिक खादों से बंजर हो रही कृषि भूमि एवं लोगों के स्वास्थ्य को सुधारने पर जोर देते हुए कहा कि जैविक खेती और परम्परागत खेती किसी भी हालत में नुकसानप्रद नहीं है।

कोरोना महामारी के काल में गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्न की मांग बढ़ी हैं जिसकी पूर्ति जैविक खाद और कीटनाशकों से उत्पन्न खाद्यान्नों द्वारा ही संभव है। परियोजना अधिकारी राजदीप पारीक ने कहा कि आज रासायनिक खेती के बढ़ने से अनाज उत्पादन की मात्रा तो बढ़ी लेकिन साथ में बीमारियां भी बढ़ी जिनका कभी नाम नहीं सुना था। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और विश्वसनीयता को दूसरा नाम जैविक खेती है। कट्स इसके लिए बच्चों को भी जागृत करने की योजना पर काम कर रहा है। इसमें स्कूलों में किचन गार्डन विकसित किए जा रहे है। उन्होंने खेतों में पराली जलाने और प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए किसानों से जागरूक होने का आव्हान किया।

कार्यक्रम में कृषि विभाग के उप निदेशक राम निवास पालीवाल ने बताया कि रासायनिक खादों और कीटनाशकों के साइड इफेक्ट बहुत है। अधिक उत्पादन के लिए पंजाब का नाम था लेकिन आज रासायनिक खेती के कारण पंजाब बीमारियों के कारण भी प्रसिद्ध हो गया। पालीवाल ने किसानों से परम्परागत कृषि योजनाओं से जुड़ने का आव्हान किया। उन्होंने सरकार द्वारा संचालित किसानों के हितों की योजनाओं की जानकारी दी।

कृषि सलाहकार संजीव सब्बरवाल ने जंगल और जानवरों से ही खेती संभव है।कचरे के प्रदूषण को रोकने के लिए प्रथक्कीकरण पर किसानों से ध्यान देने का आग्रह किया। शिक्षाविद् डाॅ. गोपाल धाकड़ ने परम्परागत खेती को आर्थिक विकास का पैमाना बताया। गौ शाला आधारित पंचगव्य उत्पादों और जैविक पद्धति के खादों की बाजार व्यवस्था के बारे में गायत्री परिवार गौ शाला बंधा के संजीव झा ने विचार व्यक्त किए।कार्यशाला का संचालन पर्यावरणविद् जल बिरादरी के प्रदेश उपाध्यक्ष बृजेश विजयवर्गीय ने किया।

जैविक खेती के प्रबंधन से रूबरू हुए किसान
जैविक प्रशिक्षण के दौरान किसानों ने सुल्तानपुर ब्लॅाक के ग्राम पड़ासलिया में रूद्र एग्रो बाॅयोेटेक फार्म पर प्रगतिशील युवा किसान इंजीनियर उमेश नागर से जैविक खद बनाने, पंचगव्य,डि कम्पोजर तैयार करने की विधि को देखा और समझा। नागर ने बताया कि सनातन पद्धति से की गई खेती ही जैविक खेती है इसमें केवल सोच बदलने से ही बड़ी क्रांति संभव है। जो सरकारी अधिकारी कभी रासायनिक खादों के बारे में बताते थे अब उसके खतरों से सावचेत कर रहे है। उन्होंने जहर मुक्त खेती एवं व्यसन मुक्त व्यक्ति की धारणा को विस्तार से बताया। जैविक खेती करना हर दृष्टि से लाभ दायक है।

कार्यशाला में वरिष्ठ नेता डाॅ एलएन शर्मा, राम निवास राठौड़, पूर्व सरपंच राम प्रसाद नागर, जिला परिषद के डायरेक्टर मायाराम मेघवाल, कैथून के उद्यानिकी के जानकार ओम प्रकाश सुमन, पूर्व सरपंच जगन्नाथ मीणा, कोटा के नगर निगम पार्षद नरेंद्र कथौलिया,गुंजन कुमार,मनोज सैनी, समाज सेवी ऊषा विजय,राजेंद्र वर्मा आदि ने जैविक उत्पादों तथा इसके प्रबंधन के बारे में विचारों को सांझा किया। पर्यावरणविद बृजेश विजयवर्गीय ने वनों को खेती की धाय मां बताया तथा कहा कि वनों एवं वन्यजीवों के संरक्षण से खेती की गुणवत्ता बनी रहती है।