वेतन का नया नियम 1 अप्रैल से, जानें टैक्स घटाकर कैसे बढ़ाएं टेक होम सैलरी

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सीए मिलिंद विजयवर्गीय
कोटा।
सैलरी का नया नियम 1 अप्रैल से लागू होने जा रहा है। सरकार की नई वेतन संहिता (New Wag Code) के मुताबिक, आपको हर महीने मिलने वाली पूरी रकम में वेतन का हिस्सा 50% होना चाहिए। ध्यान रहे कि वेतन के दायरे में मूल वेतन (Basic Salary), महंगाई भत्ता (Dearness Allowance) और प्रतिधारण भत्ता (Retaining Allowance) आता है। यानी, इन तीन अवयवों को जोड़कर मिलने वाली कुल राशि महीने में मिलने वाली कुल रकम की आधी होनी चाहिए। शेष आधी राशि में अन्य भत्ते शामिल होंगे। लेकिन अगर यह राशि 50% से अधिक हो गई तो अतिरिक्त रकम वेतन का हिस्सा मान ली जाएगी।

सैलरी का कौन-कौन सा पार्ट टैक्स फ्री
यह जानना जरूरी है कि बेसिक सैलरी, स्पेशल अलाउंस, बोनस आदि पूरी तरह टैक्सेबल हैं। वहीं, फ्यूल और ट्रांसपोर्ट, फोन, अखबार और किताबों आदि के लिए मिल रहे भत्ते पूरी तरह टैक्स फ्री हैं। वहीं, एचआरए की गणना का नियम है और उस नियम के तहत एचआरए पूरी तरह या फिर उसका कुछ हिस्सा टैक्स फ्री हो सकता है। वहीं, बेसिक सैलरी के 10% के बराबर एनपीएस कंट्रिब्यूशन भी टैक्स फ्री है, उससे अतिरिक्त रकम पर टैक्स देना होता है। वहीं, ग्रैच्युइटी के मद में 20 लाख रुपये तक की जमा रकम पर कोई टैक्स नहीं देना होता है। उसके बाद की रकम टैक्सेबल होती है।

अब अगर ऊपर के सैलरी स्ट्रक्चर के मुताबिक टेक होम सैलरी की बात करें तो यह 1.14 लाख रुपये यानी कुल सीटीसी का 76.1% जबकि पूरे 18 लाख के पैकेज पर टैक्स की बात करें तो यह 1.10 लाख रुपये या कुल एनुअल सीटीसी का 6.1% होता है। वहीं, आप साल में 1.96 लाख रुपये की बचत कर पाते हैं जो सीटीसी का 10.9% है।

मौजूदा सैलरी स्ट्रक्चर में किसका कितना हिस्सा
मान लीजिए कि आपकी मंथली सीटीसी (Cost to Company) 1.5 लाख रुपये यानी सालाना पैकेज 18 लाख रुपये का है और आप सेक्शन 80C के तहत निवेश पर अधिकतम टैक्स 1.50 लाख रुपये की छूट प्राप्त करते हैं। अगर कंपनी ने आपको सेक्शन 80CCD(2) के तहत नैशनल पेंशन स्कीम (NPS) का भी लाभ दे रही है तो नियम के मुताबिक, बेसिक सैलरी का 10% NPS में जाता है और वह टैक्स फ्री होता है।

मौजूदा सैलरी स्ट्रक्चर में बेसिक सैलरी सीटीसी का 32% होती है। इस लिहाज से 1.50 लाख की मंथली सीटीसी में बेसिक सैलरी 48,000 रुपये होगी। फिर 50 प्रतिशत यानी 24,000 रुपये एचआरए तो एनपीएस में बेसिक (48,000 रुपये) का 10% यानी, 4,800 रुपये जाएगा। चूंकि बेसिक सैलरी का 12% प्रॉविडेंट फंड (PF) में जाता है तो 5,760 रुपये हर महीने पीएफ में जाएंगे। इस तरह आपकी मंथली 1.50 लाख रुपये की सीटीसी में 82,560 रुपये हो गए। इसका मतलब है कि शेष 67,440 रुपये अन्य मदों के जरिए दिए जा रहे हैं। इनमें स्पेशल अलाउंस, फ्यूल ऐंड ट्रांसपोर्ट, फोन, अखबार एवं किताबें, सालाना बोनस में मासिक हिस्सेदारी, ग्रैच्युइटी जैसे कंपोनेंट शामिल हैं।

नए स्ट्रक्चर से सैलरी में बढ़ेगा टैक्सेबल पार्ट
हाउस रेंट अलाउंस (HRA) बेसिक सैलरी का प्रायः 40 से 50 प्रतिशत तक हुआ करता है। ऐसे में कुल मासिक रकम का यह 20 से 25 प्रतिशत हिस्सा इसका ही हो जाएगा। अब अगर बेसिक सैलरी, डीए और आरए को मिलकार कुल मासिक रकम का 50% होना अनिवार्य है और 20 से 25% एचआरए होगा तो इसका मतलब है कि कुल मासिक रकम में बाकी भत्तों एवं अन्य मदों में मिलने वाली रकम की हिस्सेदारी घटकर 25-30 प्रतिशत रह जाएगी।

अब सवाल यह है कि इस सैलरी स्ट्रक्चर का आप पर क्या असर होगा? दरअसल, मासिक रकम में 50% सैलरी कंपोनेंट की अनिवार्यता नहीं होने के कारण टैक्स बचाने के लिए अलग-अलग तरहे के भत्तों के मद में ज्यादा पैसे दिए जाते थे। लेकिन, इन मदों की हिस्सेदारी 25 से 30 प्रतिशत तक सिमट जाने के कारण सैलरी में टैक्सेबल पार्ट बढ़ जाएगा। हालांकि, यह भी सच है कि टैक्स की रकम में मामूली बढ़ोतरी ही होगी। आइए जानते हैं कि नए वेज कोड से आपकी टेक होम सैलरी, रिटायरमेंट सेविंग और टैक्स पर क्या-क्या असर देखने को मिलेंगे…

एचआरए पर टैक्स छूट का नियम
एचआरए पर टैक्स छूट का नियम कुछ इस तरह है। 1. आपको एचआरए के मद में मिल रही पूरी रकम, 2. अगर आप महानगर में काम कर रहे हैं तो बेसिक सैलरी के 50% जबकि महानगर में नहीं हैं तो बेसिक सैलरी के 40% के बराबर की रकम, और 3. आप हर महीने जितना किराया दे रहे हैं, उसमें से बेसिक सैलरी का 10% घटाकर… इन तीनों में जो भी रकम सबसे कम है, उतनी रकम टैक्स फ्री हो जाती है।

ऐसे में ऊपर के सैलरी स्ट्रक्चर के मुताबिक आपको एचआरए मद में सालाना 2.88 लाख रुपये मिल रहे हैं, लेकिन आप 2.42 लाख रुपये पर ही टैक्स छूट ले सकते हैं क्योंकि एचआरए कैलकुलेशन रूल की तीन शर्तों के मुताबिक आपको ज्यादा से ज्यादा इसी रकम पर छूट मिल सकती है। इसलिए कि मान लीजिए आप 25,000 रुपये मासिक मकान किराया दे रहे हैं तो आपका सालाना किराया 3 लाख रुपये होगा। नियम के मुताबिक, 3 लाख रुपये में बेसिक सैलरी का 10% यानी, 57,600 रुपये घटाना होगा जो बचकर 2,42,400 रुपये है। आपको इसी रकम पर टैक्स छूट मिलेगी।

नए सैलरी स्ट्रक्चर में बढ़ेगा HRA पर टैक्स
अब नए सैलरी स्ट्रक्चर में 1.50 लाख रुपये मंथली सीटीसी में बेसिक सैलरी 75,000 रुपये अनिवार्य रूप से रहेगी। इस लिहाज से एचआररए 37,500 रुपये (महानगरों के लिए), पीएफ 9,000 रुपये, एनपीएस 7,500 रुपये, फ्यूल एवं ट्रांसपोर्ट 10,000 रुपये, फोन 1,000 रुपये, अखबार और किताबें 1,000 रुपये, बोनस 5,400 रुपये और ग्रैच्युइटी 3,600 रुपये की होगी। ऐसे में आपका एचआरए पार्ट बढ़ गया। इसका कतई मतलब नहीं कि आप ज्यादा किराया वाले मकान में रहने लगेंगे। यानी, आपका मासिक किराया तो वही 25,000 रुपये ही होगा। तो स्वाभाविक है कि आप एचआरए पर छूट पहले की तरह ही पा सकेंगे, लेकिन एचआरए की कुल रकम बढ़ जाने के कारण टैक्स फ्री के अतिरिक्त रकम भी बढ़ेगी और इस तरह टैक्स भी बढ़ेगा।

नए सैलरी स्ट्रक्चर में क्या-क्या बदलेगा
इसे ऐसे समझें- अब नियम के मुताबिक सालाना बेसिक सैलरी 9 लाख रुपये होगी तो एचआरए 4,50,000 रुपये हो जाएगा। लेकिन, आपको छूट 2,42,400 रुपये पर ही टैक्स छूट मिलेगी। यानी, 2,07,600 रुपये पर टैक्स देना होगा। पहले आपको एचआरए के मद में मिल रहे सिर्फ 45,600 रुपये पर टैक्स देना होता था। यानी, नए सैलरी स्ट्रक्चर में HRA पर टैक्स में भारी बढ़ोतरी होने जा रही है। अगर आप एनुअल सीटीसी पर टैक्स की तुलना करेंगे तो अभी आपको 1.10 लाख (कुल सीटीसी का 6.1%) टैक्स देना होता है जो नए स्ट्रक्चर में 1.19 लाख रुपये (कुल सीटीसी का 6.6%) टैक्स देना होगा। नए स्ट्रक्चर में आपकी एनुअल रिटायरमेंट सेविंग 3.06 रुपये (सीटीसी का 17%) होगी जो पहले 1.96 लाख रुपये (सीटीसी का 10.9%) थी। यानी, नए स्ट्रक्चर में आपकी एनुअल रिटायरमेंट सेविंग 1.10 लाख रुपये बढ़ जाएगी।