लाल किले में विराजेंगे भगवान गणपति, स्थापित करेंगे इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा

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कर्मयोगी सेवा संस्थान का पांच दिवसीय गणेश महोत्सव रविवार से

कोटा। कर्मयोगी सेवा संस्थान के संयोजन में रविवार से पांच दिवसीय गणेश महोत्सव के कार्यक्रम का शुभारंभ किया जाएगा। इस दौरान अध्यक्ष अलका दुलारी जैन कर्मयोगी के नेतृत्व में रविवार को शाम 7 बजे गणेश स्थापना की जाएगी।

संस्थापक राजाराम जैन कर्मयोगी ने बताया कि कर्मयोगी सेवा संस्थान के नयापुरा स्थित कार्यालय कर्मयोगी भारत भवन पर 2 किलो 500 ग्राम नारियल के रेशे से निर्मित 21 इंच की इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा लाल किले पर स्थापित की जाएगी। गणेश प्रतिमा स्थापित करने के लिए कर्मयोगी के आर्डर पर कलाकार महेंद्र कसेरा द्वारा सनमाइका, प्लाई बोर्ड, गन मटेरियल, लाइट डेकोरेशन इत्यादि से लाल किले की हूबहू प्रतिकृति 3 महीने की मेहनत से तैयार की गई है।

उन्होंने बताया कि यहां 12 फीट लंबा एवं चार फीट चौड़ा 5 फीट ऊंचा लाल किला बनाया गया है। जिसकी लागत 96 हजार रुपए की आई है। लाल किला विनायक की प्रतिमा के एक हाथ में कोहिनूर एवं एक हाथ में राष्ट्रीय ध्वज है। जो ब्रिटेन से कोहिनूर हीरे की वापसी की मांग करता हुआ प्रतीत हो रहा है।

कर्मयोगी संस्थान द्वारा 1990 में प्रथम बार सुंदर धर्मशाला चौराहे पर अनंत चतुर्दशी जुलूस की स्वागत व्यवस्था निश्चित की गई थी। वर्ष 2000 से संस्थान द्वारा इको फ्रेंडली गणपति की स्थापना की जाती है। विगत 3 वर्षों से संस्थान द्वारा एक नवाचार स्थापित करते हुए तालाब में प्रतिमा विसर्जन की परंपरा को बंद करते हुए जुलूस के माध्यम से प्रतिमा को विसर्जन स्थल तक ले जाकर जल स्नान कर कर वापस संस्थान मुख्यालय पर स्थापित कर दिया जाता है।

संस्थान द्वारा जल प्रदूषण की रोकथाम एवं जलीय जीवों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए शहर वासियों से विगत कई वर्षों से रासायनिक रंगों से निर्मित प्लास्टर ऑफ पेरिस की प्रतिमा स्थापित नहीं करने की निरंतर अपील की जा रही है। संस्थान द्वारा आटे, चावल, मेहंदी, रोटी, चूरमे, हल्दी, चंदन, गोबर, फूल, मखाने, नीम, नवग्रह समिधा, गुड, शादी कार्ड से, मुल्तानी मिट्टी से निर्मित गणेश प्रतिमाएं स्थापित की जा चुकी हैं।

कर्मयोगी ने बताया कि 25 सितंबर को शाम अंतराष्ट्रीय संजय कठपुतली केंद्र द्वारा कठपुतली के माध्यम से गणेश जी की आरती की जाएगी। वहीं 27 सितंबर को लोक कलाकारों द्वारा कच्ची घोड़ी कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाएगा। पांच दिवसीय कार्यक्रम में प्रतिदिन नारियल प्रसाद वितरण किया जाएगा।