रेलवे पुलों पर पानी खतरे का निशान पार करते ही अफसरों को मिलेगा मैसेज

1025

कोटा। रेलवे अब बाढ़ व आपात स्थिति से निपटने के लिए आधुनिक उपकरणों का उपयोग करने लगा है। इसमें पेट्रोलमैन को जीपीएस लोकेटर दिए गए हैं। वहीं रेलवे पुलों पर ऑटोमेटिक वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए गए हैं। इससे पुलों पर पानी के खतरे के निशान के ऊपर जाते ही संबंधित रेलवे अधिकारियों को एसएमएस प्राप्त हो जाता है।

पश्चिम मध्य रेलवे में कोटा, जबलपुर में भी इस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। मानसून के मौसम में रेल ट्रैक की सुरक्षा के लिए पश्चिम मध्य रेलवे प्रशासन की ओर से भी विशेष कदम उठाए गए हैं। जिसके तहत प्रतिकूल परिस्थितियों में भी पश्चिम मध्य रेलवे के पेट्रोलमैन रेल ट्रैकों पर गश्त कर यात्रियों की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करते हैं।

पश्चिम मध्य रेलवे प्रशासन की ओर से बारिश के मौसम में यात्री गाड़ियों की सुरक्षा के लिए कोटा, जबलपुर व भोपाल मंडल के अन्तर्गत 115 पुलों और 55 ट्रैक पर दिन-रात मॉनिटरिंग की जा रही है। इन चिन्हित स्थानों पर वाचमैन की तैनाती की गई है। ये पेट्रोलमैन इन स्थानों पर बाढ़ की स्थिति, पानी के स्तर या मार्ग अवरूद्ध होने जैसी की स्थिति पर नजर रखते हैं।

पेट्रोलमैन एक बटन दबाकर कंट्रोल रूम को खतरे का सिग्नल दे सकते हैं
रेल प्रशासन ने रेलवे ट्रैकों पर अतिरिक्त रूप से पेट्रोलमैन की तैनाती की गई है। इस वर्ष इन पेट्रोलमैन को जीपीएस लोकेटर दिए गए हैं। इस उपकरण के द्वारा पेट्रोलमैन केवल एक बटन दबाकर संबंधित एएसएम, पीडब्ल्यूआई, कंट्रोल रूम को खतरे का सिग्नल दे सकते हैं। इससे पेट्रोलमैन की लोकेशन भी तुरंत अधिकारियों तक पहुंच जाती है।

क्या है ऑटोमैटिक वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम : अतिरिक्त वरिष्ठ खंड अभियंता, जूनियर इंजीनियर, सहायक अभियंता खतरे वाली जगहों की निगरानी कर रहे हैं। कुछ महत्वपूर्ण पुलों पर ऑटोमैटिक वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए गए हैं। इससे पुलों पर पानी के खतरे के निशान के ऊपर जाते ही संबंधित अधिकारियों को एसएमएस प्राप्त हो जाता है।