रूस से S-400 डील पर क्या बोले ट्रम्प, जानिए

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वाशिंगटन। रूस के साथ भारत के एस-400 सौदे को लेकर अमेरिकी पाबंदी के डर के बीच राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का बड़ा बयान सामने आया है। ट्रंप ने दो टूक कहा है कि रूस से पांच अरब डॉलर के एस-400 हवाई रक्षा प्रणाली खरीद सौदे पर भारत जल्द ही दंडात्मक काट्सा काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस ऐक्ट (CAATSA) प्रतिबंधों पर उनके फैसले से अवगत होगा।

बता दें कि CAATSA के तहत रूस से हथियार सौदे पर अमेरिकी प्रतिबंधों से भारत को छूट देने का अधिकार केवल ट्रम्प के ही पास है। भारत और रूस के बीच हुए सौदे के बारे में पूछे जाने पर ट्रम्प ने ओवल ऑफिस में कहा, ‘भारत को पता चल जाएगा।

भारत को पता चलने जा रहा है। आप जल्द ही देखेंगे।’ ट्रम्प ने यह भी कहा कि ईरान से चार नवंबर की समयसीमा के बाद तेल आयात जारी रखने वाले देशों के बारे में अमेरिका देखेगा। भारत और चीन जैसे देशों के ईरान से तेल आयात जारी रखने के बारे में पूछे जाने पर ट्रम्प ने कहा, ‘हम देखेंगे।’

बता दें कि पिछले दिनों रक्षा विशेषज्ञों ने आशंका जताते हुए कहा था कि अमेरिकी प्रशासन के भीतर बदलते राजनीतिक समीकरणों और भारत की व्यापार तथा शुल्क नीतियों के प्रति राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कड़े निजी विचारों के बीच रूस के साथ एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद के बाद कड़े ‘सीएएटीएसए’ प्रतिबंधों से भारत को छूट मिलना आसान नहीं होगा।

विशेषज्ञों के मुताबिक पिछले साल कानून का रूप लेने वाले इस ऐक्ट के तहत भारत पर अब प्रतिबंध लग सकता है, क्योंकि उसने रूस के साथ एस-400 रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए 5.4 अरब डॉलर का सौदा किया है। अमेरिका की नजर में यह महत्वपूर्ण सौदा है।

दरअसल, यह ऐक्ट ट्रंप प्रशासन को रूस, ईरान और उत्तर कोरिया के खिलाफ आर्थिक तथा राजनीतिक प्रतिबंधों के माध्यम से उन्हें निशाना बनाने की ताकत देता है। गौरतलब है कि अमेरिका ने हाल ही में सीएएटीएसए का प्रयोग कर एस-400 की खरीद को लेकर चीनी प्रतिष्ठानों पर प्रतिबंध लगाए हैं।

अमेरिका में मौजूद ‘फ्रेंड्स ऑफ इंडिया’ को आशा है कि राष्ट्रपति ट्रंप भारत को सीएएटीएसए के तहत प्रतिबंधों से छूट देंगे क्योंकि अमेरिका भारत को महत्वपूर्ण रक्षा साझेदार मानता है। साथ ही अमेरिका आगामी कुछ वर्षों में अरबों डॉलर की रक्षा सामग्री भारत को बेचने के संबंध में सौदे करने के अंतिम दौर में है।

उधर, संसदीय सूत्रों का कहना है कि रक्षा मंत्री जिम मैटिस और विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने भारत के मद्देनजर ही सीएएटीएसए में राष्ट्रपति द्वारा छूट पर जोर दिया था। लेकिन इस संबंध में अंतिम निर्णय ट्रंप को ही करना है, जो पिछले कुछ सप्ताह से भारत की व्यापार और शुल्क नीतियों के प्रति आलोचनात्मक रुख अपनाए हुए हैं।

दरअसल, ट्रंप ने पिछले सप्ताह भारत को ‘शुल्क का राजा’ (टेरिफ किंग) बताया था और कहा था कि उनके आयातों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की उनकी चेतावनी के बाद भारत अमेरिका के साथ एक व्यापार समझौता चाहता है। उनके हालिया बयान से ही कुछ विशेषज्ञों को लगता है कि रूस के साथ भारत के एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली समझौते के संबंध में अमेरिकी राष्ट्रपति से छूट मिलना आसान नहीं होगा।