रिवाइज्ड एमआरपी की जांच करेंगी राज्यों की कन्ज्यूमर अथॉरिटी

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नई दिल्ली। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) में कमी का फायदा कंपनियों की ओर से ग्राहकों को देना सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत राज्यों की कन्ज्यूमर अथॉरिटी प्री-पैकेज्ड प्रॉडक्ट्स पर लेबल की जांच करेंगी।

केंद्र ने राज्यों के मेट्रोलॉजी कंट्रोलर्स को एक निर्देश जारी कर प्री-पैकेज्ड कमोडिटीज के संशोधित सेल्स प्राइस की पुष्टि में जीएसटी अधिकारियों की मदद करने को कहा है। जीएसटी काउंसिल ने 27 जुलाई से बहुत से वाइट गुड्स पर टैक्स को 28 पर्सेंट से घटाकर 18 पर्सेंट किया था।

सरकार उन प्रॉडक्ट्स की कीमतों पर नजर रख रही है जिन पर जीएसटी में कमी की गई है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कंपनियां टैक्स में कटौती का फायदा ग्राहकों को दें और इससे होने वाला मुनाफा अपने पास न रखें।

एंटी-प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी भी यह निगरानी कर रही है कि कंपनियां इस फायदे को ग्राहकों को दे रही हैं या नहीं। ईटी ने इस महीने की शुरुआत में रिपोर्ट दी थी कि कन्ज्यूमर ड्यूरेबल कंपनियों के टैक्स में कमी का फायदा कस्टमर्स को न देने के मामलों की जांच की जा रही है।

केपीएमजी के पार्टनर (इनडायरेक्ट टैक्सेज) हरप्रीत सिंह ने कहा, ‘राज्यों के मेट्रोलॉजी कंट्रोलर्स को जीएसटी अधिकारियों की मदद करने का निर्देश देने से एंड-कन्ज्यूमर्स तक टैक्स में कमी का फायदा पहुंचाने को लेकर सरकार की गंभीरता दिखती है।’

निर्देश के अनुसार, एमआरपी में बदलाव की जानकारी स्टैंपिंग, स्टिकर लगाने या ऑनलाइन प्रिंटिंग के जरिए दी जा सकती है। इसके साथ ही वास्तविक एमआरपी भी दिखाना होगा। कंपनियों को प्राइस में बदलाव के लिए विज्ञापन देने के साथ ही डीलर्स को भी इस बारे में नोटिस भेजना होगा।