रक्षा मंत्रालय ने 107 उत्पादों के आयात पर लगाई रोक, मेड इन इंडिया को बढ़ावा देंगे

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नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) ने गुरुवार को आयात पर अंकुशों को लेकर 107 उप-प्रणालियों और उपकरणों की नई सूची जारी की है। इसका मुख्य मकसद देश में विनिर्माण (Manufacturing) को बढ़ावा देना है। इस पाबंदी के तहत दिसंबर से शुरू होने वाली छह साल की अवधि के दौरान अलग-अलग समयावधि के लिये इनके आयात की अनुमति नहीं दी जाएगी।

सूची में हेलीकॉप्टर, पनडुब्बी, टैंक, मिसाइल और संचार प्रणाली के उत्पादन में लगने वाले जरूरी उपकरण शामिल हैं। इनमें से कई उपकरणों और प्रणालियों की खरीद फिलहाल रूस से की जा रही है।

नई सूची में आयात प्रतिबंध के लिये चिन्हित कुछ कलपुर्जों और उप-प्रणालियों का उपयोग देश में विकसित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (ALH), हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (LCH), हल्के उपयोगी हेलीकॉप्टर (LUH), इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, एस्ट्रा मिसाइल, टी-90 टैंक और सैन्य लड़ाकू वाहन के निर्माण के लिये किया जाता है।

रक्षा मंत्रालय की सूची में 22 वैसे उत्पाद शामिल हैं जिन्हें सार्वजनिक क्षेत्र की हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) बनाएगी। जबकि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड 21 उप-प्रणालियों का देश में विनिर्माण करेगी। उल्लेखनीय है कि पिछले साल दिसंबर में रक्षा मंत्रालय ने निश्चित समय अवधि के लिये आयात पर पाबंदी को लेकर 2851 उप-प्रणालियों और कलपुर्जों की सूची जारी की थी।

मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स जहाजों और पनडुब्बियों के निर्माण में उपयोग किये जाने वाले छह उपकरणों और उप-प्रणालियों का विनिर्माण देश में करेगी। वहीं भारत डायनेमिक्स लिमिटेड को एस्ट्रा मिसाइल के लिए चार कलपुर्जों के स्वदेशीकरण का काम सौंपा गया है। जबकि बीईएमएल लिमिटेड के जिम्मे 12 उपकरण आये हैं।

मंत्रालय ने कहा कि इन वस्तुओं का स्वदेशीकरण ‘मेक’ श्रेणी के तहत रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि सरकार ने देश में रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये कई उपायों की घोषणा की। भारत विश्व स्तर पर हथियारों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है। एक अनुमान के मुताबिक, भारतीय सशस्त्र बलों के अगले पांच साल में पूंजीगत खरीद में लगभग 130 अरब डॉलर खर्च करने का अनुमान है।

सरकार अब आयात पर निर्भरता कम करना चाहती है और उसने घरेलू रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने का फैसला किया है। रक्षा मंत्रालय ने अगले पांच साल में रक्षा विनिर्माण में 25 अरब डॉलर (1.75 लाख करोड़ रुपये) के कारोबार का लक्ष्य रखा है। इसमें पांच अरब डॉलर (35,000 करोड़ रुपये) के सैन्य हार्डवेयर का निर्यात लक्ष्य शामिल है।