मोदी सरकार की सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने की तैयारी, जानिए क्यों

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नई दिल्ली। ट्विटर, वाट्सएप, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने की तैयारी पूरी हो गई है। मोदी सरकार संबंधित कानून में संशोधन कर जहां यूजर्स के अधिकारों को मजबूत करने जा रही है, वहीं यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी आपत्तिजनक और भड़काऊ पोस्ट को हटाने के लिए सरकार के आदेश का तत्काल पालन हो। माना जा रहा है कि अगले मंगलवार तक इस संबंध में घोषणा हो जाएगी।

उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय आइटी मंत्रालय ने ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इसके तहत कंपनियों से डाटा का स्थानीयकरण करने और पूरी तरह से भारत में कंपनी के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कहा जा सकता है। अभी सिर्फ बिलिंग के लिए इंटरनेट मीडिया की बड़ी कंपनियां अपनी भारतीय इकाई को दर्शाती हैं। बाकी के काम के लिए उनका पूरा सिस्टम विदेश में रहता है।

सब कुछ संबंधित कंपनी की इच्छा पर होता है। वह जिसे चाहे प्रतिबंधित कर सकती है। नए कानून के तहत इंटरनेट मीडिया का यह मनमाना रुख नहीं चलेगा। इंटरनेट मीडिया लगातार जागरूक करेगा कि किस तरह के पोस्ट डाले जा सकते हैं और किस तरह के नहीं। चेतावनी के बावजूद यूजर नहीं माना, तभी इंटरनेट मीडिया उसे ब्लॉक करेगा। बताया जाता है कि ड्राफ्ट को प्रधानमंत्री की हरी झंडी मिलने की देर है।

ड्राफ्ट की मुख्य बातें :

  • एक निश्चित समय तक इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म को यूजर्स से जुड़ा डाटा और कंटेंट सुरक्षित रखना होगा
  • सरकार का आदेश होने पर 24 घंटे में संबंधित पोस्ट को हटाना होगा, वरना कानूनी कार्रवाई होगी
  • नोडल एजेंसी बनानी होगी, जो 24 घंटे काम करेगी। शिकायतों पर अमल की जवाबदेही नोडल एजेंसी की होगी
  • ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफार्म भी दायरे में आ सकते हैं। उन्हें सरकार के निर्देश पर कंटेंट हटाना होगा या संशोधन करना होगा
  • ओटीटी के लिए एक सेंसर बोर्ड जैसी कमेटी का भी गठन किया जा सकता है, जो उनके कंटेंट पर निगरानी रखेगी

इसलिए जरूरी है बदलाव
हाल में ट्विटर पर फार्मर्स जेनोसाइड हैशटैग से ट्वीट किए गए और इसकी जानकारी दिए जाने के बावजूद इनसे जुड़े लिंक को बंद करने में ट्विटर ने आनाकानी की। खालिस्तान और पाकिस्तान समर्थक ट्विटर अकाउंट से किसान आंदोलन के नाम पर भारत में दंगा और हिंसा भड़काने के उद्देश्य से ट्वीट किए गए और सरकार की तरफ से उन अकाउंट को बंद करने के लिए कहने पर भी ट्विटर ने आनाकानी की।

ट्विटर ने भारत सरकार को अभिव्यक्ति की आजादी का पाठ भी पढ़ाना शुरू कर दिया। इससे पहले वाट्सएप की अपडेट प्राइवेसी पॉलिसी में यूजर्स के डाटा को फेसबुक से शेयर करने के मामले ने तूल पकड़ा था। ट्विटर व फेसबुक जैसे इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म नियमों के पालन में भेदभाव भी करते हैं। यूरोप व अमेरिका में सरकार व यूजर्स के प्रति उनका रुख अलग है और भारत में अलग।