मध्यप्रदेश में भी चने की फ़सल कमज़ोर रहने की आशंका से कीमतों में तेजी के आसार

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नई दिल्ली। घरेलू खपत में बढ़ोत्तरी के नये आंकडों के बीच स्टॉक लिमिट की सरकारी सख़्ती से मुक्त कंपनियों और स्टॉकिस्टों की चने में आक्रमक खरीद की तैयारी की खबरों के चलते चने की कीमतों में आगे तेजी के आसार बनने लगे है। बाजार के बड़े जानकारों की माने तो चने की कीमतें मौजूदा स्तर 4725/4750 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर अगस्त माह तक बढ़कर 5200/5300 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को छूने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

सरकारी खरीद शुरू होने से पहले बाजार में बनने वाले नये माल के दबाव से चने की कीमतों में हल्की सी गिरावट भी देखने मिल सकती है। तमाम आशंकाओं और अनुमानों के बीच चने का व्यापारिक उत्पादन अनुमान लगभग 85-86 लाख टन का है। दूसरी ओर, सरकारी उत्पादन अनुमान अभी भी 114 लाख टन का बताया जा रहा है। गौरतलब रहे कि चालू सीजन में चने का रकबा बीते वर्ष के 107.31 लाख हैक्टेयर से 4.37 फीसदी की बढ़ोत्तरी के साथ 112 लाख हैक्टेयर पर पहुंचने की खबर है।

जानकारों के अनुसार, जहां गुजरात और महाराष्ट्र में बिजाई आंकड़ों बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी, वही मध्य प्रदेश जैसे चने के बड़े प्रमुख उत्पादक राज्य में किसानों ने चने के मुकाबले गेहूं की बिजाई को ज्यादा प्राथमिकता दी है। इसके अलावा, मध्य प्रदेश में चने की फसल की तैयारी की अवस्था में मौसम का मिजाज बिगड़ने के बाद हुई बेमौसम बारिश एवं ओला बृष्टि से चने के उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है।

हालाँकि, चने के उत्पादन के बारे में शुरूआती अनुमान 95-96 लाख टन के थे, लेकिन बाद में लगभग अधिकाँश उत्पादक राज्यों में मौसम प्रतिकूल रहने से उत्पादन आंकड़े के दायरे को घटाना पड़ा और अब उत्पादन का नया आंकड़ा 84-86 लाख टन के बीच बताया जा रहा है। हालाँकि अगर तस्वीर इससे कही उलट होती है और उत्पादन अनुमान 85-86 लाख टन से ऊपर निकलता है, तो चने की उपलब्धता बढ़ने से कीमतों में कुछ दबाव देखने को मिल सकता है।

चने का आयात: दूसरी ओर, बीते सीजन की तरह चने का आयात इस बार भी बहुत तंग रह सकता है। बीते वर्ष 2 लाख टन चने का आयात हुआ था, इस बर्ष चने का आयात बढ़कर 4 लाख टन के स्तर को छू सकता है। वर्तमान में भारतीय बंदरगाहों पर ऑस्ट्रेलियाई चने का सीएनएफ कीमत 600 डॉलर प्रति टन के आस-पास बैठ रही है, जबकि भारतीय करेंसी में यह कीमत 4350 रूपए है। इस आयात पर 60 फीसदी की सरकारी ड्यूटी के बाद चने का आयात काफी मुश्किल नजर आता है। जबकि तंजानिया का चना भारतीय बंदरगाह पर 660 डॉलर प्रति टन सीएनएफ के आधार पर पहुंच रहा है, जबकि भारतीय करेंसी में यह कीमत 4780 रुपये प्रति क्विंटल बैठेगी।

एलडीसी रियायतों के चलते तंजानिया के चने में किसी प्रकार की ड्यूटी नही लगती है, लेकिन तंजानिया में चने मौजूदा स्टॉक नगण्य स्थिति में बताया जा है,जबकि वहां की नई फसल सितंबर माह के बाद ही आयेगी। दूसरी ओर, देश में बर्मा, सूडान व इथोपिया से भी शुल्क मुक्त चने का आयात किया जाता है। बाज़ार विशेषज्ञ मानते मई-जून के माह में जब मंडियों में चने की आपूर्ति घटने लगेंगी, तब सरकार एलडीसी रियायत वालें देशों से चने के आयात को मंजूरी दे सकती है।

वर्तमान में सरकार ने चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5100 रूपए प्रति क्विंटल का घोषित कर रखा है और सरकार चने की कीमतों को एमएसपी के स्तर तक बढ़ने की छूट दे सकती है, लेकिन जब कीमतें एमएसपी के स्तर को तोड़ने लगेंगी, तो घरेलू कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिये सरकार चने के आयात को मंजूरी दे सकती है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए इस वर्ष चने का आयात बढ़ने की स्थिति बन रही है।

इसके अलावा वर्तमान में नैफेड के पास 10.50-11.50 लाख टन का स्टॉक की जानकारी मिल रही है, जबकि बीते वर्ष सरकार के पास 28/28.50 लाख टन चने का स्टॉक मौजूद था और यही वजह है कि सरकार मंडियों में नये चने के दबाव के समय सरकारी खरीद के लिये बीते वर्षो की तुलना में समय से पूर्व कांटे लगा सकती है। दूसरी ओर, किसान भी चने की सरकारी खरीद होने का इंतजार कर रहे है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रमुख चना उत्पादक राज्यों की मंडियों में 15 मार्च के आसपास आवक का दबाव बढ़ने पर सरकार नैफेड के माध्यम से मंडियों में चने की खरीद शुरू कर सकती है।

चने की खपत: कोरोना प्रभाव से निकलने के बाद देश की अर्थव्यवस्था सुधार की पटरी पर आगे बढ़ रही है, और होटल, रेस्तरां एवं खाने की दुकानें खुलने पर चने की खपत अपने सामान्यः स्तर पर लौट रही है। इस दौरान खपत बढ़ने से बीते सीजन के करीब 89/90 लाख टन के मुकाबले चने की खपत इस वर्ष बढ़कर 92/94 लाख टन पर पहुंचने की संभावना है।

वर्तमान में महाराष्ट्र व कर्नाटक के सभी उत्पादक राज्य में कटाई का कार्य जोरों से जारी है, जबकि मध्य प्रदेश व राजस्थान में नये चने की आवक मंडियों में 12-15 मार्च के आस-पास शुरू होने की तैयारी दिख रही है। बीते दिसंबर-जनवरी माह में 4250-4350 रुपये प्रति क्विंटल का निचला स्तर छूने के बाद वर्तमान में कीमतें 4725/4750 रुपये प्रति क्विंटल पर सुनी जा रही है।

आने वाले कुछ समय बाद जब मंडियों में नये माल का दबाव दिखने लगेगा, तब सरकारी एजेंसियों द्वारा एमएसपी पर खरीद के साथ-साथ बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों और स्टॉकिस्टों की खरीद का समर्थन भी चने को मिलने की उम्मीद है, इससे ऐसा लगता है कि नये माल के दबाव के समय भी चने की कीमतों में ज्यादा मंदी नही आ पायेगी।
दूसरी ओर, इस वर्ष स्टॉक सीमा नही रहने से प्राइवेट कारोबारियों के साथ-साथ बड़ी घरेलू कंपनियों की खरीद भी जोरों से रह सकती है, इसलिये संभव है कि आगे दाल मिलों को जरूरत के हिसाब से बराबर माल नही मिल पाये।

महाराष्ट्र की मंडियों में चने का सीजन शुरू होने के बाद भी मंडियों में चने की सीमित आपूर्ति चिंता का बिषय बनी हुई है, हालांकि जानकार मानते है कि गुजरात के शानदार उत्पादन के साथ-साथ मध्य प्रदेश व राजस्थान के औसत उत्पादन के दम पर इस कमी को पूरा करने की कोशिश की जा सकती है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए आने वाले अगस्त माह के दौरान में चने की कीमतें धीरे-धीरे बढ़ती हुई 5200/5300 रूपए प्रति क्विंटल के स्तर पर छूने की संभावना बन रही है।