बिना इंजन वाली ‘ट्रेन सेट’, तैयार, अगले साल से दौड़ेगी

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मुंबई। जिस ट्रेन का लोगों को बेसब्री से इंतजार है, वह तैयार हो चुकी है। देशभर में शताब्दी ट्रेनों की जगह चलने वाली आधुनिक ट्रेन जिसे ट्रेन-18 के नाम से जाना जाता है, चैन्ने स्थित इंटिग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) में बनकर तैयार है। ‘मेक इन इंडिया’ के तहत बनाई गई इस ट्रेन को पहले उत्तर रेलवे में परीक्षण के तौर पर चलाया जाएगा।

ट्रेन-18 का ट्रायल अगले 2 महीनों में दिल्ली-भोपाल रूट पर चलने वाला है। सूत्रों के अनुसार इसी रूट पर देश की सबसे तेज ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलती है, इसलिए ट्रेन-18 का ट्रायल भी यहीं किया जाएगा। रेलवे बोर्ड से जुड़े सूत्रों के अनुसार ट्रेन-18 का अगला ट्रायल मुंबई-अहमदाबाद रूट पर किया जाएगा।

जनवरी में दौड़ेगी ट्रेन-18
आईसीएफ के सूत्रों ने बताया कि इस ट्रेन को नवंबर तक उत्तर रेलवे को सौंप दिया जाएगा। इसके बाद नवंबर और दिसंबर में इसके ट्रायल होंगे। ट्रायल के बाद कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी की अनुमति का इंतजार रहेगा। रेलवे का टारगेट इस ट्रेन को जनवरी 2019 में पब्लिक के लिए चलाना है। इस साल बजट में ‘ट्रेन 18’ की घोषणा की गई थी।

ट्रेन सेट की खासियत
भारतीय रेलवे पर दौड़ने वाली आम ट्रेनों से एकदम अलग ट्रेन-18 बिना इंजन की होगी। सबर्बन ट्रेनों की तरह इस ट्रेन के दोनों छोर पर मोटर कोच होंगे, यानी ये दोनों दिशाओं में चल सकेगी। इस ट्रेन की अधिकतम स्पीड 170 किमी प्रतिघंटा के करीब रहने वाली है।

यह ट्रेन पूरी तरह से वातानुकूलित होगी, सभी कोच एक दूसरे से कनेक्टेड होंगे। स्टेनलेस स्टील की बॉडी वाली इस ट्रेन में वाई-फाई, एलईडी लाइट, पैसेंजर इनफर्मेशन सिस्टम और पूरे कोच में दोनों दिशाओं में एक ही बड़ी सी खिड़की होगी।

इस प्रॉजेक्ट के लिए रेल मंत्रालय द्वारा अब तक 120 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए जा चुके हैं। ट्रेन सेट की खासियत ही है कम ऊर्जा का दोहन, गति और सुरक्षित। सामान्य मेल एक्सप्रेस ट्रेनों में WAP-5 और WAG-7 में 5500 अश्व शक्ति के वाले इंजन होते हैं, इनकी ऊर्जा खपत ट्रेन सेट या ईएमयू के मुकाबले ज्यादा होती है।