बस कुछ ही घंटों में चाँद को चूमेगा चंद्रयान-2

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नई दिल्ली।अब से चंद घंटों में भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में ऊंची छलांग लगाते हुए चंद्रयान-2 को सतह पर उतारने वाला है। वैज्ञानिकों समेत पूरा देश उस ऐतिहासिक और गर्व भरे क्षण का गवाह बनने को बेताब है, जब रोवर ‘प्रज्ञान’ चांद को चूमेगा। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने विडियो जारी कर प्रज्ञान के लैंडर विक्रम से रिलीज होने से लेकर चांद की सतह पर वह क्या-क्या काम करेगा, उसे समझाया है। इसरो ने विडियो के जरिए प्रज्ञान के पार्ट्स और उनके काम के बारे में बताया है।

क्या है रोवर प्रज्ञान?
आगे बढ़ने से पहले यह समझते हैं कि रोवर प्रज्ञान है क्या। दरअसल, यह एक रोबॉटिक वीइकल है जो चांद की सतह पर बेहद धीमी गति से चलेगा और उसकी तस्वीरों को अध्ययन के लिए धरती तक भेजेगा। चंद्रयान-2 के रोवर का नाम संस्कृत के शब्द प्रज्ञान पर रखा गया है, जिसका अर्थ है ‘बुद्धि’।

यह 6 पहियों वाला एक रोबॉटिक वीइकल है जो आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से लैस है। यह चांद पर एक चंद्र दिवस यानी पृथ्वी के 14 दिनों की अवधि तक वैज्ञानिक अध्ययन, डेटा कलेक्शन जैसे अपने कामों को अंजाम देगा। इस दौरान यह चांद की सतह पर कुल 500 मीटर की दूरी तय कर सकता है। इसका वजन 27 किलोग्राम है। यह सौर ऊर्जा से संचालित हो रहा है, जिसकी क्षमता 50 वॉट है। यह सिर्फ लैंडर ‘विक्रम’ से कम्यूनिकेट करेगा।

प्रज्ञान के पार्ट और उनके काम

  • रोवर पर सोलर पैनल लगे हुए हैं जो 50 वॉट बिजली पैदा करेंगे। इसके अलावा उस पर 2 नेविगेशन कैमरे लगे हैं।
  • दोनों नेविगेशन कैमरों के बीच में अल्फा पार्टिकल एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) नाम का उपकरण लगा हुआ है। APXS चांद की सतह का एक्सरे करेगा। इससे सोडियम, मैग्निशियम, एल्यूमिनियम, सिलिका, कैल्शियम, टाईटेनियम, आयरन जैसे तत्वों की मौजदूगी का पता लगेगा।
  • सोलर पैनल के एक छोर पर 2 ऐंटेना लगे हुए हैं जो सूचनाओं को रिसीव और ट्रांसमिट करेंगे।

चांद पर ऐतिहासिक लैंडिंग: कहां, कैसे देखेंगे आप

  • 6 पहियों वाले रोवर प्रज्ञान की डिजाइनिंग ऐसी की गई है कि यह आसानी से चांद की ऊबड़-खाबड़ सतह पर चल सके। रॉकर बोगी असेंबली की मदद से यह चट्टानी सतह पर भी आसानी से चल सकेगा।
  • रोवर प्रज्ञान पर ‘लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप’ (लिब्स) नाम का उपकरण भी लगा है। लिब्स का मुख्य उद्देश्य चांद पर भारी मात्रा में मौजूद तत्वों का पता करना है। यह हाई पावर लेजर छोड़ता है, जिसके बाद होने वाले रेडिएशन से पता चलेगा कि वहां किस चीज का भंडार है।