बड़े कर्जदाताओं के लिए आरबीआई ने तय किए नए नियम

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नई दिल्ली। बड़े कर्जदाताओं के बीच क्रेडिट अनुशासन बढ़ाने के लिए बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने नए दिशानिर्देश जारी किए। दिशानिर्देश के अनुसार, 150 करोड़ रुपये और उससे अधिक की कुल कार्यशील पूंजी सीमा के लिए 40 फीसदी ऋण घटक का का न्यूनतम स्तर 1 अप्रैल, 2019 से प्रभावी होगा।

ऐसे कर्जदाताओं के लिए, बकाया ऋण घटक (कार्यशील पूंजी ऋण) स्वीकृत फंड-आधारित कार्यशील पूंजी सीमा के कम से कम 40 फीसदी के बराबर होना चाहिए। इसे चरणबद्ध तरीके से भी लागू किया जाएगा।

ब्याज की व्यवस्था बदलेगी : अगले साल 1 अप्रैल से होम और ऑटो लोन पर लगने वाले ब्याज की व्यवस्था बदल जाएगी। अभी बैंक खुद ही तय करते हैं कि ब्याज दर कब बढ़ानी-घटानी है। लेकिन, अप्रैल से वे आरबीआई द्वारा रेपो रेट घटाने के तुरंत बाद ब्याज दर घटाने को बाध्य होंगे।

यही व्यवस्था छोटे कारोबारियों को दिए जाने वाले कर्ज पर भी लागू होगी। अभी बैंक एमसीएलआर यानी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट के आधार पर कर्ज देते हैं। अब इसकी जगह नया मानक होगा, जिसे बैंक खुद नहीं तय कर सकेंगे। ये मानक या तो रेपो रेट के हिसाब से तय होगा या सरकारी बॉन्ड पर मिलने वाले रिटर्न के आधार पर।

इस बारे में विस्तृत दिशा-निर्देश इस महीने के अंत तक जारी होंगे।यह घोषणा रिजर्व बैंक ने बुधवार को की। आरबीआई का कहना है कि इससे लोन देने की व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी। ये व्यवस्था फ्लोटिंग रेट पर लिए गए सभी तरह के कर्ज पर लागू होगी।