पश्चिम-मध्य रेलवे ने बजट लक्ष्यों का 48 प्रतिशत किया खर्च

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-कृष्ण बलदेव हाडा –
कोटा।
पश्चिम-मध्य रेलवे वर्ष 2023-24 के लिए आवंटित कुल बजट 9422 करोड़ रूपये में से अभी तक 47.80 प्रतिशत कुल 4503 करोड़ रूपये व्यय कर चुका है। पश्चिम-मध्य रेलवे के तहत कोटा सहित तीन मंडल आते है। अन्य दो मंडलों में जबलपुर एवं भोपाल मण्डल शामिल है।

पश्चिम-मध्य रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी राहुल श्रीवास्तव ने बताया कि पश्चिम-मध्य रेल के महाप्रबन्धक सुधीर कुमार गुप्ता के नेतृत्व में इस रेलवे में आधारभूत ढांचे को सुदृढ़ करने एवं बेहतर यात्री सुविधाओं के कार्य बड़े पैमाने पर लक्ष्यानुसार समय सीमा में पूर्ण किये जा रहे है।

श्री श्रीवास्तव के अनुसार मध्य प्रदेश के लिए 2023-24 में औसत रेल बजट 13,607 करोड़ स्वीकृत किया गया है, जो कि रेल बजट 2009-2014 के मुकाबले 21 गुणा से अधिक स्वीकृत किया गया है । पश्चिम-मध्य रेलवे की विभिन्न परियोजनाओं एवं अधोसरंचना कार्य के अंतर्गत नई रेल लाईन निर्माण, दोहरीकरण एवं तिहरीकरण, ट्रेक नवीनीकरण, यातायात सुविधा, लेवल क्रॉसिंग, आर ओ बी एवं आर यू बी ब्रिज के कार्य एवं इलेक्ट्रिक वर्क सहित स्टॉफ कल्याण पर खर्चा किया गया है।

महाप्रबन्धक श्री गुप्ता ने उच्चाधिकारियों को यात्री सुविधा एवं विकास कार्यों में और अधिक तेजी लाने के लिए निर्देशित किया है। साथ ही रेल यात्रियों की संरक्षा एवं सुरक्षा के कार्यो को प्राथमिकता से पूर्ण करने पर बल दिया है। वैसे भी देश के बड़े केन्द्रीय उपक्रमों में बजट लक्ष्यों को प्राप्त करने में भारतीय रेलवे अग्रणी है। भारतीय रेल ने अप्रैल से अगस्त माह तक की अवधि में 2.44 लाख करोड़ रूपये के सालाना लक्ष्य में से 1.13 लाख करोड़ रूपये (46.6 प्रतिशत) खर्च कर सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है।

इसके विपरीत भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने अपने वार्षिक पूंजीगत व्यय लक्ष्य लगभग 1.62 ट्रिलियन रुपये के मुकाबले लगभग 75,168 करोड़ रुपये (46.4 प्रतिशत) खर्च कर दूसरा स्थान प्राप्त किया है।

उल्लेखनीय है कि 100 करोड़ रुपये और उससे अधिक के वार्षिक पूंजीगत व्यय लक्ष्य वाले 54 बड़े केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) और पांच विभागीय शाखाओं द्वारा पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) इस वित्तीय वर्ष में उनके लगभग 7.33 ट्रिलियन रुपये के वार्षिक लक्ष्य के लगभग 42.5 प्रतिशत तक पहुंच गया है। केंद्र बुनियादी ढांचे और रिफाइनरी क्षेत्र में बड़े सार्वजनिक उपक्रमों को तीसरी तिमाही के अंत तक अपने लक्ष्य का 90 प्रतिशत हासिल करने के लिए प्रेरित कर रहा है।