पंचर बनाने वाले बड़े भाई ने दिया हौसला तो रिंकू ने क्रेक की नीट

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कोटा। कोचिंग सिटी कोटा तकदीर संवार रही है। अभावों के अंधकार से घिरे परिवारों में शिक्षा के चिराग रोशन कर रही है। शिक्षा के उजियारे से जागरूकता आ रही है। एक बार फिर इसकी बानगी सामने आई है, जब मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले के बालक ने विपरीत परिस्थितियों में पढ़ाई करते हुए स्वयं को सिद्ध किया और उसकी इस सफलता में साथी बना कोटा का एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट।

भाई का हौसला और एलन का साथ इतना कारगर रहा कि अब रिंकू सरकारी कॉलेज से एमबीबीएस करेगा। रिंकू ने नीट-2019 के रिजल्ट में 573 अंक प्राप्त किए हैं। ऑल इंडिया रैंक 17090 रही। सफलता से पूरा परिवार खुश है। रिंकू एमबीबीएस के बाद कॉर्डियोलॉजी के क्षेत्र में अध्ययन करना चाहता है। बड़ी बात यह कि रिंकू ने दसवीं कक्षा में 57 प्रतिशत अंक प्राप्त किए और पढ़ाई एमपी बोर्ड से की। इसके बाद 12वीं बोर्ड में 67 प्रतिशत अंक प्राप्त किए लेकिन नीट की तैयारी में जुनून के साथ पढ़ाई की और कामयाबी पाई।

रिंकू ने बताया कि मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में बड़ा भाई सुनील सड़क किनारे पंचर की दुकान लगाता है। 4 बीघा जमीन है, जिसमें दसवीं पास पिता गिरिराज खेती करते हैं। यहां से घर के खाने के लिए अनाज की व्यवस्था हो जाती है, इतना ही गुजारा हो पाता है। मां ऊषा बाई गृहिणी हैं तथा सातवीं तक पढ़ी हुई हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं है, ऐसे में बडे़ भाई सुनील ने आगे पढ़ाई नहीं की और काम करने लग गया, लेकिन जब यही बात मेरे साथ होने लगी तो उन्होंने मुझे आगे पढ़ने के लिए प्रेरित किया। मुझे डॉक्टर बनते देखना बड़े भाई सुनील का सपना था। इसीलिए मुझे प्रेरित करते रहे और अंततः मैं सफल हो गया।

छोड़ दी थी पढ़ाई, एक साल घर रहा
वर्ष 2017 में 12वीं कक्षा 67 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण करने के बाद रिंकू ने पढ़ाई छोड़ने का मन बना लिया था। आगे पढ़ना चाहता था लेकिन कमजोर आर्थिक स्थिति इसकी इजाजत नहीं दे रही थी। एक साल तक विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने के लिए घर पर ही बैठकर किताबें पढ़ता रहता था। कई बार तो बड़े भाई की दुकान पर जाकर काम शुरू करने तक की कोशिश की, लेकिन, बड़े भाई ने कहा कि ‘तू पैसों की चिंता मत कर, सिर्फ पढ़ाई शुरू कर। कहीं से भी व्यवस्था कर तुझे नीट की तैयारी कराउंगा’।

इसके बाद मैंने फिर से पढ़ाई शुरू करने का मन बनाया। 10वीं कक्षा तक पढ़ा-लिखा सुनील पढ़ाई का महत्व जानता था। सुनील की शादी हो चुकी है और तीन बच्चों की जिम्मेदारी उस पर है। बावजूद इसके वह अपने भाई की पढ़ाई के लिए पैसा जोड़ रहा था, वर्ष 2018 में उसने पैसों की व्यवस्था कर रिंकू को कोटा भेजा। रिंकू ने एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट कोटा में दाखिला लिया और सालभर कड़ी मेहनत की।

क्योंकि उसे अपने भाई के सपने को साकार करना था। हाल ही में जारी नीट के परिणाम में रिंकू ने सफलता प्राप्त की और ओबीसी श्रेणी में ऑल इंडिया 17090 रैंक हासिल की। आज सुनील की आंखों में खुशियों की चमक है, क्योंकि छोटे भाई रिंकू को डॉक्टर बनते हुए देखने का उसका सपना साकार होने जा रहा था।