निर्माण की आधुनिक तकनीकी पर पूरी तरह से खरा उतरा चम्बल रिवर फ्रंट

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चम्बल नदी पर बने सबसे बड़े गांधी सागर बांध सहित चारों बांधो से गेट खोलकर जबरदस्त पानी की निकासी किए जाने के बावजूद कोटा बैराज के निचले इलाके में नदी के दोनों तटों पर विकसित किया गया चंबल रिवर फ्रंट अक्षुण खड़ा रहा और वह निर्माण की आधुनिक तकनीकी पर पूरी तरह से खरा उतरा है। इसके अलावा चंबल रिवर फ्रंट की सुरक्षा के लिए खड़ी की गई सुरक्षा दीवार के कारण कोटा बैराज से पानी की निकासी के समय आमतौर पर बाढ़ के खतरे का सामना करने वाली निचले इलाके की कई बस्तियों को भी इस बार बाढ़ की आशंकाओं से पूरी तरह निजात दिला दी है।

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। Strength of Chambal River Front: चंबल नदी पर बने चारों बांधों से पानी छोड़े जाने के बाद कोटा बैराज के निचले इलाके (डाउनस्ट्रीम) में बनने वाले जल प्लावन जैसे हालात में भी अपने स्थान पर अटल खड़े रहकर चंबल रिवर फ्रंट इसके निर्माता अभियंताओं की अपेक्षाओं पर खरा उतरा है।

मध्य प्रदेश के मालवा अंचल में भारी बरसात के बाद जलग्रहण क्षेत्र से भारी पानी की आवक होने के उपरांत शनिवार को इस मानसून सत्र में पहली बार चम्बल नदी पर बने सबसे बड़े 1312 फ़ीट की भराव क्षमता वाले गांधी सागर बांध से पानी की निकासी शुरू की गयी थी और कल तो पानी की आवक बहुत ज्यादा बढ़ जाने के कारण चारों बांधो गांधी सागर राणा, राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर और कोटा बैराज से भरपूर पानी की निकासी की गई।

कोटा बैराज से तो देर रात को करीब पौने तीन लाख क्यूसेक तक पानी को छोड़ा गया था जो कोटा में बैराज के निचले हिस्से में विकसित किए गए में चंबल रिवर फ्रंट के 12 सितम्बर को लोकार्पण के बाद पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में जल की निकासी की गई थी, लेकिन पानी की इस भारी निकासी के बावजूद चंबल नदी के दोनों छोर पर भव्य तरीके से विकसित किए गए विश्व स्तरीय चंबल रिवर फ्रंट अक्षुण खड़ा रहा जिसकी जमकर तारीफ की जा रही है।

वैसे वर्ष 1960 में कोटा बैराज के निर्माण के बाद के इतिहास में अब तक इस बैराज से सबसे अधिक वर्ष 2019 सबसे अधिक पानी की निकासी की गई थी। तब कोटा बैराज के सभी गेट खोलकर सात लाख क्यूलेक के आसपास पानी छोड़ा गया था।

उस समय भी कोटा बैराज के निचले क्षैत्र में टिपटा, पाटनपोल, मकबरा, घंटाघर, नयापुरा, दोस्तपुरा, ब्रजराजपुरा में बसी आवासीय बस्तियों के निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर चले जाने के लिए कहा गया था और मंगलवार रात भी जब कोटा बैराज से ढाई लाख क्यूसेक से भी अधिक पानी की निकासी शुरू की गई तो निचले इलाकों के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के अपील की गई जिनके लिए कुछ सरकारी इमारतों में रहने की प्रशासनिक स्तर पर व्यवस्था की गई थी।

इन सबके बावजूद चम्बल नदी के दोनों किनारों पर बनाई गई सभी इमारतें, और यहां चम्बल नदी के तट पर बनाए गए सभी घाट न केवल सुरक्षित रहें बल्कि उन्हें पानी छू तक नहीं पाया। अधिकारिक स्तर पर यह बताया भी जाता रहा है कि जिस समय वर्ष 2019 में कोटा बैराज से सात लाख क्यूसेक पानी की निकासी की गई थी तब भी बैराज के निचले स्तर पर पानी 246.5 मीटर तक ही गया था जबकि चंबल रिवर फ्रंट पर करवाए गए निर्माण कार्य ढाई सौ मीटर ऊपर हैं।

इसलिए यह तो तय है कि निकट भविष्य में भी यदि कोटा बैराज के सभी गेट खोलकर पानी की निकासी की स्थिति बनी और अधिकतम पानी छोड़ा गया, तब भी चंबल रिवर फ्रंट के सभी घाट, इमारतें, स्मारक सुरक्षित ही रहने वाले हैं। इसके विपरीत चम्बल रिवर फ्रन्ट को विकसित करने का एक बड़ा फ़ायदा यह मिला है कि इसकी सुरक्षा के लिए बनाई गई दीवारों के कारण चम्बल नदी के किनारे बसी सभी बस्तियां बाढ़ से मुक्त हो चुकी हैं।

कोटा बैराज से नयापुरा पुलिया तक 2.75 किमी की लम्बाई में चम्बल नदी के दोनों तटों पर 1400 करोड़ से अधिक की लागत से चम्बल रिवर फ्रन्ट विकसित किया गया है। इसके दोनों तटों पर 27 घाटों का निर्माण किया गया है, जिनमें चम्बल माता घाट, गणेश पोल, मरू घाट, जंतर-मंतर घाट, विश्व मैत्री घाट, हाडोती घाट, महात्मा गांधी सेतु, कनक महल, फव्वारा घाट, रंगमंच घाट, साहित्य घाट, उत्सव घाट,सिंह घाट, नयापुरा गार्डन, जवाहर घाट, गीता घाट, शान्ति घाट, नन्दी घाट, वेदिक घाट, रोशन घाट, घंटी घाट, तिरंगा घाट, शौर्य घाट, राजपूताना घाट, जुगनू घाट, हाथी घाट और बालाजी घाट शामिल हैं जो सभी अक्षुण रहे।

कोटा में विकसित चम्बल रिवर फ्रंट आर्किटेक्ट का देशभर में अद्वितीय नमूना है। इस पर विकास के साथ पर्यटन, रोजगार, पर्यावरण संरक्षण के साथ नदी के सौंदर्यकरण जैसे कार्य किए गए हैं। यहां पर चम्बल माता की 225 फ़ीट ऊंची संगमरमर की मूर्ति भी स्थापित की गई है। चम्बल रिवर फ्रंट के जवाहर घाट पर पं. जवाहर लाल नेहरू का विश्व का सबसे बड़ा गन मेटल का मुखौटा बनाया गया है। साथ ही दुनिया का सबसे बड़ा नन्दी भी यहां बना है।

इसी प्रकार एक बगीचे में 10 अवतारों की मूर्ति लगाई गई है तथा बुलन्द दरवाजे से ऊंचा दरवाजा बनाया गया है। राजपूताना घाट पर राजस्थान के 9 क्षेत्रों की वास्तुकला व संस्कृति को दर्शाया गया है। मुकुट महल में 80 फ़ीट ऊंची छत है तथा यहाँ पर सिलिकॉन वैली भी है। ब्रह्मा घाट पर विश्व की सबसे बड़ी घण्टी बनाई गई है जिसकी आवाज 8 किमी दूर तक सुनी जा सकेगी। साहित्यिक घाट पर पुस्तक, प्रसिद्ध लेखकों की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई है।