निजी डाटा चोरी पर जेल और 15 करोड़ तक का जुर्माना संभव

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नई दिल्ली। निजी डाटा चुराने पर अब कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों को तीन साल की जेल भी हो सकती है और कंपनी को 15 करोड़ रुपये तक या उसके वैश्विक टर्नओवर का चार फीसदी जुर्माना भी देना पड़ सकता है। कैबिनेट से निजी डाटा संरक्षण विधेयक, 2019 को मंजूरी मिलने के बाद अधिकारियों ने बताया कि इस विधेयक में निजी डाटा की चोरी करने या फिर उसका बेजा इस्तेमाल करने पर रोक लगाने के कई प्रावधान किए गए हैं।

अब सरकार संसद में चल रहे शीतकालीन सत्र में इसके लिए विधेयक पेश करेगी। सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि इस बिल की चर्चा पहले संसद में की जाएगी। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने विधेयक को कैबिनेट और दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पास भेज दिया है।

इस विधेयक के मुताबिक, कोई भी निजी या सरकारी संस्था किसी व्यक्ति के डाटा का उसकी अनुमति के बिना इस्तेमाल नहीं कर सकती। चिकित्सा आपातकाल और राज्य या केंद्र की लाभकारी योजनाओं के लिए ऐसा किया जा सकता है। किसी भी व्यक्ति को उसके डाटा के संबंध में अहम अधिकार होंगे। संबंधित व्यक्ति अपने डाटा में सुधार या फिर संस्था के पास मौजूद अपने डाटा तक पहुंच की मांग कर सकता है।

विधेयक में यह भी प्रावधान है कि किसी भी संस्था को संबंधित व्यक्ति को डाटा के इस्तेमाल के बारे में बताना होगा। हालांकि, विधेयक में राष्ट्रीय हित से जुड़े मसलों पर डाटा के इस्तेमाल की अनुमति होगी। राष्ट्रीय सुरक्षा, कानूनी कार्यवाही और पत्रकारिता के उद्देश्यों के लिए इस डाटा का इस्तेमाल किया जा सकेगा। डाटा जुटाने वाली संस्थाओं की निगरानी के लिए डाटा संरक्षण प्राधिकरण स्थापित करने का भी प्रावधान है।

ये भी हैं प्रावधान

  • स्वास्थ्य, धर्म या राजनीतिक रुझान, बायोमेट्रिक, आनुवांशिक, यौन रुचियों, लैंगिक, वित्तीय आदि से संबंधित डाटा को संवेदनशील डाटा माना गया है।
  • मामूली उल्लंघन पर भी 5 करोड़ रुपये तक या कंपनी के वैश्विक टर्नओवर का दो फीसदी जुर्माने का प्रावधान है।
  • सोशल मीडिया कंपनियों को अपने प्लेटफॉर्म से जुड़े उन उपभोक्ताओं की पहचान के लिए एक तंत्र विकसित करना होगा जो स्वेच्छा से अपनी पहचान बताने को तैयार हैं।
  • सोशल मीडिया को एक जिम्मेदार व्यक्ति नियुक्त कर अपने प्लेटफॉर्म पर उपभोक्ताओं का सत्यापन कराने का विकल्प देना होगा। यह भी उपभोक्ताओं की स्वेच्छा पर होगा कि वह सत्यापन कराना चाहते हैं या नहीं। इसमें प्रावधान होगा कि डाटा मालिक को अपने डाटा मिटाने, सुधारने या कहीं और ले जाने के अधिकार दिए जाएं।
  • सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा और अदालती आदेश आदि से जुड़े मामलों में ही निजी डाटा का इस्तेमाल किया जा सकता है।