कोटा। आयकर विभाग की टीम ने गुरुवार को करोड़ों रुपये बकाया टैक्स की वसूली के लिए राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय (RTU) और नगर विकास न्यास (UIT) कोटा के बैंक खातों को सीज कर दिया। अब आरटीयू और यूआईटी अपने बैंक खातों से किसी भी मद में राशि विड्रॉल नहीं कर पाएंगे ।
इससे पहले आयकर विभाग ने आरटीयू को नोटिस जारी करते हुए टैक्स जमा करवाने को कहा था। इस संबंध में आरटीयू ने इनकम टैक्स विभाग से कुछ समय भी मांगा था। समय सीमा पूरी होने के बाद आयकर विभाग ने इस बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। इस कार्रवाई से आरटीयू के सभी वित्त से संबंधित कामों पर ब्रेक लग जाएगा।
उधर, यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि सबसे पहले यहां पर शिक्षा दी जाती है। एजुकेशन इंस्टीट्यूट पर ऐसी कार्रवाई ठीक नहीं है। बच्चों से फीस लेकर उनके ही डवलपमेंट पर खर्च किया जाता है। यूनिवर्सिटी सिस्टम में सरकार की सीधी फंडिंग नहीं होती है। यूनिवर्सिटी को खुद ही अपने संसाधन विकसित करके इनकम जनरेट करनी होती है।
इसमें सबसे बड़ा योगदान एफडी का होता है। टीचिंग व नॉन टीचिंग स्टाफ की भर्ती भी सरकार के आदेश पर होती है। लेकिन वेतन यूनिवर्सिटी को ही देना होता है। सरकार टोकन मनी के रूप में मामूली राशि कर्मचारियों को देती है। पिछले साल राज्य सरकार ने टोकन मनी के रूप में आरटीयू को एक हजार रुपए ही दिए थे।
वेतन देने पर भी आएगा संकट
अब जब तक यह मामला निस्तारित नहीं हो जाता, आरटीयू अपने बैंक एकाउंट से एक पैसा भी विड्रॉल नहीं करवा सकती है। सबसे पहला असर तो आरटीयू के डेली के खर्च पर पड़ेगा। शिक्षकों के वेतन साथ ही परीक्षकों के मूल्यांकन की राशि, बिजली व पानी के बिल का भुगतान के लिए यूनिवर्सिटी पैसा नहीं निकाल पाएगी।
यूआईटी पर 230 करोड़ का आयकर बकाया
करीब 230 करोड़ का आयकर बकाया होने पर इनकम टैक्स विभाग ने गुरुवार को यूआईटी के बैंक खाते सीज कर दिए हैं। यूआईटी ने 3 साल से रिटर्न नहीं भरा किया है। अधिकारियों के अनुसार पूर्व अध्यक्ष ने गंभीरता नहीं दिखाई जिसकी वजह से यह हुआ है।
वहीं यूआईटी का कहना है कि यह चैरिटेबल संस्था है, इसलिए इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती है। इनकम टैक्स विभाग ने पहले भी यूआईटी के खाते सीज किए थे। तब यूआईटी ने 45 करोड़ रुपए जमा किए थे।
ऑटोनॉमस दर्जे के कारण लगता है टैक्स
सरकारी कार्यालयों की ओर से अगर कोई एफडी करवाई जाती है तो उस पर इनकम टैक्स नहीं लगता। लेकिन आरटीयू का दर्जा ऑटोनॉमस है। इस कारण आरटीयू की एफडी टैक्सेबल है। इसी प्रकार अन्य मदों पर भी आरटीयू को टैक्स जमा करवाना था। आरटीयू प्रशासन का तर्क है कि वह सरकारी संस्था है। वहीं, आयकर विभाग ने ऑटोनॉमस बॉडी बताते हुए यह कार्रवाई की है।