जीएसटी परिषद की बैठक कल, मोटे अनाजों से जुड़ी वस्तुओं पर GST घटने की संभावना

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नई दिल्ली। जीएसटी परिषद (GST Council) की शनिवार को होने वाली बैठक में मोटे अनाजों (जौ-बाजरा) वाले स्वास्थ्यवर्धक मिश्रणों समेत कुछ वस्तुओं पर कर की दरों में बदलाव पर विचार किया जाएगा। अधिकारियों की एक समिति ने इनमें संशोधन की सिफारिश की है।

हालांकि जीएसटी परिषद बहुउपयोगी वाहनों (एमयूवी) के कर से जुड़े इस मुद्दे को फिलहाल टाल सकती है कि इस पर स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) के समान कर लगाया जाए या नहीं जिस पर फिलहाल 22 प्रतिशत क्षतिपूर्ति उपकर लगता है।

फिटमेंट पैनल ने बाजरा आधारित स्वास्थ्यवर्धक उत्पादों पर दरों को मौजूदा 18 प्रतिशत से घटाकर शून्य या 5 प्रतिशत करने की सिफारिश की है। इस पैनल में केंद्र और राज्यों के कर अधिकारी शामिल हैं।

समिति ने सुझाव दिया कि यदि कम से कम 70 प्रतिशत मोटे अनाजों वाले उत्पाद को खुले रूप में बेचा जाता है तो कर दर शून्य होनी चाहिए और अगर इसे पहले से पैक और लेबल वाले पैकेट में बेचा जाता है तब कर की दर 5 फीसदी होनी चाहिए।

इस कदम का उद्देश्य मोटे अनाजों वाले उत्पादों की मांग को बढ़ावा देना है जिससे इन फसलों को उगाने वाले किसानों की आमदनी में वृद्धि होगी। पैनल ने इन सामानों को उचित रूप से वर्गीकृत करने का भी सुझाव दिया है। फिटमेंट पैनल ने एमयूवी के मुद्दे पर सभी पक्षकारों के साथ इस पर विस्तृत चर्चा करने और सलाह-मशविरा की मांग करते हुए मामले को फिलहाल टालने का प्रस्ताव दिया है।

जीएसटी परिषद ने 17 दिसंबर की बैठक में एसयूवी पर क्षतिपूर्ति उपकर की दर पहले के 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 22 प्रतिशत करने को मंजूरी दी थी। हालांकि, एसयूवी के वर्गीकरण और कर के मुद्दे पर भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि क्या कुछ श्रेणी की कारों पर भी उच्च कर दर लागू होगी भले ही उन्हें एसयूवी नहीं कहा जाता है।

इसके अलावा फिटमेंट पैनल ने पेंसिल शार्पनर की दर को मौजूदा 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी करने का भी सुझाव दिया है। यह भी सुझाव दिया गया है कि अगर राब (तरल गुड़) को खुले में बेचा जाता है तब इस पर शून्य कर और अगर इसे पैक/लेबल वाले पैकेट में बेचा जाता है तब इस पर 5 फीसदी की दर से कर लगाया जाए।

प्रमुख एजेंडा

  • जीएसटी परिषद के एजेंडे में राज्यों की दो महत्त्वपूर्ण समितियों की रिपोर्ट पर चर्चा होने की संभावना है। एक जीएसटी अपील न्यायाधिकरण की स्थापना पर और दूसरा पान, गुटखा जैसी वस्तुओं पर क्षमता-आधारित कराधान लगाने पर भी चर्चा हो सकती है।
  • जीएसटी से संबंधित मामलों को हल करने के लिए न्यायाधिकरण स्थापित करने को लेकर, हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की अध्यक्षता में मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने सिफारिश की कि राज्यों के आकार के आधार पर राज्यों में जितनी आवश्यक हो उतने खंडपीठ होंगे। इसमें एक न्यायिक सदस्य और एक तकनीकी सदस्य रखने का सुझाव भी दिया है जो प्रत्येक राज्य में 50:50 के अनुपात में केंद्र या राज्य से हो सकता है।
  • इसके साथ ही एकल सदस्यीय खंडपीठ को 50 लाख रुपये तक के कर वाले मामलों पर सुनवाई करने का अधिकार दिए जाने का सुझाव भी दिया गया है। इसके मुताबिक 5 करोड़ से कम आबादी वाले राज्यों में अधिकतम दो खंडपीठ और किसी भी राज्य में पांच से अधिक खंडपीठ नहीं होने चाहिए। एजेंडा के मुताबिक क्षमता आधारित कराधान पर एक अन्य मंत्रिसमूह को भी परिषद की बैठक में पेश किया जाएगा।
  • पैनल ने पान मसाला, चबाने वाले तंबाकू और इसी तरह के उत्पादों पर कर चोरी रोकने के लिए सख्त उपायों का प्रस्ताव दिया है। हालांकि, इसमें कहा गया है कि क्षमता आधारित शुल्क निर्धारित नहीं किया जा सकता है। जीएसटी की भावना के अनुरूप नहीं है और जीएसटी में संवैधानिक नियमों के संदर्भ में स्वीकार्य नहीं हो सकता है।
  • रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि ऐसी कर चोरी वाली वस्तुओं पर लगाए गए क्षतिपूर्ति उपकर को वर्तमान कीमतों के अनुसार लगाए जाने वाले कर से विशिष्ट कर-आधारित शुल्क में बदल दिया जाना चाहिए ताकि राजस्व के पहले चरण (निर्माता स्तर) में कर संग्रह को अधिक बढ़ावा दिया जा सके।