कोटा में वर्षा के लिए टोने-टोटकों का सहारा, गड़े भेरू जी की पूजा-अर्चना की

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मौसम विभाग पहले ही घोषणा कर चुका है कि राजस्थान में कोटा संभाग सहित विभिन्न इलाकों में 6 सितम्बर से हल्के से लेकर मध्यम दर्जे की बरसात होने की संभावना है। यह बरसात निश्चित रूप से मौजूदा कृषि सत्र खरीफ की फसलों के लिए जीवनदाई साबित हो होगी।

-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। राजस्थान के कोटा में अच्छी बरसात की कामना के लिए टोने-टोटकों का सहारा लिया जा रहा है और इसमें कोटा नगर निगम (उत्तर) भी अपनी भागीदारी निभा रहा है।
हाडोती संभाग के शहरी और ग्रामीण अंचलों में यह धार्मिक मान्यता प्रचलित है कि यदि मानसून के सत्र में समय पर बरसात नहीं हो तो गड़े भेरू जी को निकालकर उनकी पूजा-अर्चना करने से अच्छी बरसात होती है।

वर्तमान में कोटा संभाग में इस मानसून सत्र में पिछले करीब एक माह से भी अधिक समय से लगभग सूखे के हालात रहने के बाद इस धार्मिक! रीति रिवाज को जगह-जगह निभाया भी जा रहा है क्योंकि सूखे के हालात के कारण खरीफ़ के मौजूदा सत्र की फसलों को नुकसान हो रहा है जिससे किसानों में गहरी निराशा व्याप्त है।

कोटा शहर में भी कमोबेश यही हालात हैं। पिछले एक माह से भी अधिक समय से कोटा शहर भी वर्षा से लगभग पूरी तरह से वंचित है जिसके कारण कोटा का बीते दिनों में न केवल तापमान बढ़ा है बल्कि भारी उमस के कारण लोगों को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ा है। बारिश नहीं होने के कारण पंखे ही नहीं बल्कि कूलर तक लोगों को राहत पहुंचा पाने में विफल साबित हो गए हैं। धर्म-कर्म में विश्वास रखने वाले लोगों का यह भी मानना है कि कोटा शहर में भी पाटनपोल में गड़े भेरुजी को निकालकर विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना की जानी चाहिए।

अगर यह पूजा-अर्चना की गई तो बरसात होने की कामना का पूरा होना तय है। इसके लिए कुछ राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से कोटा नगर निगम प्रशासन से मांग की जा रही थी लेकिन इस मांग की लगातार अनदेखी होने के बाद पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी के एक पूर्व पार्षद ने तो यह तक चेतावनी दे दी थी कि यदि पाटनपोल के गड़े भेरुजी को निकालकर वर्षा की कामना के साथ पूजा-अर्चना नगर निगम के स्तर पर नहीं की गई तो वे खुद पाटनपोल में गड़े भेरुजी को निकालकर विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना करेंगे।

इस बीच कोटा नगर निगम के स्तर पर भी तैयारी की गई और मंगलवार को अधिकारिक तौर पर प्रेसनोट जारी कर बताया गया कि बरसात की कामना के मंगलवार को कोटा शहर में अच्छी बारिश की कामना को लेकर मंगलवार को नगर निगम कोटा (उत्तर) ने पाटनपोल स्थित ऐतिहासिक व प्रसिद्ध गड़े भैरू जी की मूर्ति को विधिवत रूप से भूमि से निकाला गया और बड़ी संख्या में जन समूह के साथ महापौर मंजू मेहरा ने भैरवनाथ की पूजा-अर्चना की और अच्छी बारिश की कामना की।

इस मौके पर भैरवनाथ की ज्योत प्रज्जवलित की गई और उनके समक्ष धूपेड़ा लगाया गया। भैरूजी की पूजा-अर्चना के बाद महापौर ने उनकी महा आरती की। गड़े भैरूजी की पूजा-अर्चना कार्यक्रम के अवसर पर महापौर मंजू मेहरा के साथ पार्षद जमना बाई, अजय सुमन, सहवरित पार्षद संजय यादव, पूर्व पार्षद महेश गौतम लल्ली व रूखसाना, कोटा उत्तर निगम के अधिशाषी अभियन्ता कुलदीप प्रेमी, सहायक अभियन्ता मोतीलाल चौधरी, कनिष्ठ अभियन्ता राकेश कुमार, समाजसेवी कैलाश पटवा, रिंकू व खेमराज सिंह टीटू सहित बड़ी संख्या में गणमाण्य नागरिक उपस्थित थे।

कोटा में मंगलवार को कुछ इलाकों में मामूली बूंदाबांदी भी हुई और यह बात भी प्रचारित करने की कोशिश की गई कि इसे चमत्कार के रूप में प्रचारित करने भी कोशिश भी की गई है जबकि मौसम विभाग पिछले सप्ताह से ही लगातार यह बात कहता आ रहा है कि राजस्थान में कोटा संभाग सहित विभिन्न इलाकों में 6 सितंबर से आने वाले कुछ दिनों तक हल्की से मध्यम बरसात होगी।

मौसम विभाग ने जयपुर में यह भविष्यवाणी जारी की थी कि राज्य के कई संभागों में वर्षा का दौर शुरू होने वाला है और यह उम्मीद जताई थी 5 सितंबर से कई इलाकों में हल्की से मध्यम दर्जे की बरसात होगी। इसके आधार पर मौसम और कृषि विज्ञानियों का यह भी मानना था कि इस बरसात से ग्रामीण अंचलों में खरीफ़ की मौजूदा सत्र की फसल को जीवनदान मिलेगा जो बरसात नहीं होने के कारण नष्ट हो रही है।

जानकार सूत्रों का कहना है कि कुछ इलाकों में तो सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिलने के कारण जब फसलें खास तौर से धान की फसल सूखने लगी तो किसानों को जमीन को हांकने के लिए मजबूर होना पड़ा है। कोटा जिले में पिछले दिनों अपनी 5 बीघा कृषि भूमि में सोयाबीन की फसल की तबाही को देखकर एक किसान ने तो आत्महत्या तक कर ली थी।

इसके अलावा यह भी कहा गया है कि कोटा में बीते दिनों से डेंगू सहित विभिन्न मौसमी बीमारियों की बड़ी वजह बरसात का नहीं होना है। बरसात नहीं होने के कारण शहरी इलाकों में विभिन्न स्थानों पर स्थिर भरे पानी में डेंगू-मलेरिया आदि मौसमी बीमारियों के मच्छर पनप रहे हैं जिसके कारण यह बीमारियां अपना विकराल रूप दिखा रही है।

अस्पतालों में दिन भर मौसमी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की लंबी-लंबी कतारें देखने को मिल रही है। अब तक कोटा में डेंगू से कुछ मरीजों की मौत की भी खबरें आई है और राजनीति के स्तर पर यह भी आरोप लगे हैं कि कोटा में डेंगू सहित अन्य मौसमी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या के आंकड़ों को सरकारी-विभागीय स्तर पर छुपाया जा रहा है।

मौसमी बीमारियों और मच्छरों से छुटकारा दिलाने के लिए जिम्मेदार सरकारी महकमों के अधिकारी और कर्मचारी बेखबर बने हुए हैं जबकि यह मांग लगातार की जा रही है कि कोटा शहर में डोर टू डोर सर्वे करवाकर डेंगू सहित अन्य मौसमी बीमारियों के पीड़ितों का पता लगाया जाए और उन्हें जरूरी उपचार उपलब्ध करवाइए। हालांकि इस बारे में कोटा के जिला कलक्टर ओमप्रकाश बुनकर ने भी पिछले दिनों गंभीरता से प्रयास शुरू किए थे।

खासतौर से नए कोटा शहर में डेंगू और अन्य मौसमी बीमारियों का प्रकोप अधिक होने के कारण श्री बुनकर की अगुवाई में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों अधिकारियों के साथ कोटा शहर के विभिन्न इलाकों का दौरा किया था और संबंधित विभाग के अधिकारियों को हिदायतें दी थी कि मलेरिया-डेंगू जैसी बीमारियों की रोकथाम और मच्छर-लार्वा को नष्ट करने के लिए सभी जरूरी उपाय किए जाएं।

श्री बुनकर ने नए कोटा शहर के कई कोचिंग संस्थानों और होस्टलों आदि का भी दौरा किया था और वहां के हालात का जायजा लेते हुए हॉस्टल संचालकों को सख्त हिदायत दी थी थी मच्छरों को मारने कूलरों, पानी की टंकियों सहित अन्य जल संग्रह के पात्रों की नियमित सफाई करवाई जाए ताकि मच्छर-लार्वा नहीं पनप सकें।