कश्मीर मुद्दे पर भारत और मलेशिया के बीच ट्रेड वार के हालात

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नई दिल्ली। भारत और मलेशिया के बीच ट्रेड वार की स्थिति बन रही है। ऐसी स्थिति मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद के संयुक्त राष्ट्र में 24 सितंबर को दिए उस बयान के बाद बनी, जिसमें महातिर ने कहा था कि भारत ने कश्मीर में कब्जा कर रखा है। महातिर के इस बयान पर भारत की ओर से तीखी टिप्पणी दी गई थी।

वहीं भारत की तरफ से अनौपचारिक रुप से पाम तेल का आयात रोक दिया गया था। इसी के बाद से दोनों देशों के बीच ट्रेड वार जैसे हालात बन गए हैं। मलेशिया से तेल आयात करने वाले भारतीय कारोबारी संगठनों ने कश्मीर मामले में अपना विरोध दर्ज कराया है। तेल उद्योग ने मलेशिया से पॉम तेल के आयात को कम करने की मांग की है।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएसन ऑफ इंडिया (एसईए) ने एक एडवाइजरी जारी कर कहा कि देश हित में मलेशिया से पॉम तेल के आयात सौदा तब तक न किया जाएं, जब तक केंद्र सरकार कोई दिशा-निर्देश न जारी कर दें। बता दें कि भारत सरकार की तरफ मलेशिया से पॉम तेल के आयात रोकने का कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया है। लेकिन इसे भारत की तरफ से मलेशिया पर दबाव माना जा रहा है।

भारत है पॉम तेल का बड़ा आयातक देश
बता दें कि इंडोनेशिया के बाद मलेशिया दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पाम तेल उत्पादक और निर्यातक देश है और भारत मलेशिया के लिए तीसरा सबसे बड़ा पाम तेल आयातक देश है। भारत हर साल 90 लाख टन पाम तेल आयात करता है और मुख्य रूप से मलेशिया और इंडोनेशिया से होता है। 2019 के पहले नौ महीनों में भारत ने मलेशिया से 30.9 लाख टन पाम तेल का आयात किया है। मलेशियाई पाम ऑइल बोर्ड के डेटा के अनुसार भारत का मलेशिया से मासिक आयात चार लाख 33 हज़ार टन है।

बनें ट्रेड वार जैसे हालात
भारत के पॉम तेल के आयात रोकने पर मलेशिया ने इस मुद्दे को राजनयिक तरीके से सुलझाने का बयान दिया था। ऐसे में माना जा रहा था कि जल्द ही दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य हो जाएंगे। हालांकि अब मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कश्मीर मामले में पीछे न हटने का बयान दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच ट्रेड वार जैसे हालात बन रहे हैं।