कभी जीएसटी रिटर्न नहीं भरने वालों को मिला एक और चांस,

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नई दिल्ली। जिन कारोबारियों ने वर्ष 2017 के जुलाई में जीएसटी प्रणाली लागू होने के बाद से अभी तक एक बार भी रिटर्न दाखिल नहीं किया है, उन्हें भी सरकार बेहद मामूली शुल्क भुगतान के साथ रिटर्न दाखिल करने और जीएसटी तंत्र में शामिल होने का मौका दे रही है। वे सिर्फ 1,000 रुपये जुर्माना देकर जीएसटी तंत्र में शामिल हो सकते हैं।

सामान्य नियम के मुताबिक, देर से रिटर्न फाइल करने वालों को 50 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना देना होता है। ऐसे में 2017 जुलाई से लेकर अब तक का जुर्माना भरने में ऐसे कारोबारियों को 50,000 रुपये से अधिक जुर्माना देना पड़ सकता था। हालांकि, इस छूट का लाभ तभी मिलेगा जब कारोबारी इस वर्ष 31 अगस्त तक शुल्क के साथ रिटर्न फाइल कर देंगे।

इस सप्ताह शुक्रवार को जीएसटी काउंसिल की 43वीं बैठक में यह फैसला किया गया, ताकि अधिक से अधिक कारोबारियों को जीएसटी के दायरे में लाया जा सके। जीएसटी विशेषज्ञ एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) प्रवीण शर्मा के अनुसार, इस फैसले से सरकार और कारोबारी दोनों को फायदा होगा।

जिन कारोबारियों के पास जीएसटी पंजीयन नंबर हैं, वे फिर से मामूली रकम देकर जीएसटी रिटर्न की प्रक्रिया में शामिल हो जाएंगे। सरकार को यह फायदा होगा कि जीएसटी के दायरे में अधिक कारोबारियों के शामिल होने से जीएसटी का संग्रह बढ़ेगा।

जिन कारोबारियों का जीएसटी निष्क्रिय हो गया है, उनके लिए सरकार की तरफ से कोई स्पष्टता नहीं दी गई है। काउंसिल ने इस साल मई के बाद के जीएसटी रिटर्न फाइलिंग में देरी पर भी जुर्माने में छूट दी है। सालाना 1.5 करोड़ तक के कारोबारियों को अधिकतम 2,000 रुपये देने होंगे तो 1.5 करोड़ से पांच करोड़ तक के सालाना टर्नओवर वालों के लिए जुर्माने की अधिकतम राशि 5,000 रुपये होगी। वहीं, पांच करोड़ से अधिक टर्नओवर वालों से विलंब शुल्क के रूप में अधिकतम 10,000 करोड़ रुपये वसूले जाएंगे।

काउंसिल की बैठक में वित्त वर्ष 2020-21 के वार्षिक रिटर्न को सरल बनाने के उपाए किए गए। अब कारोबारियों को अपने रिटर्न को सीए से प्रमाणित नहीं कराना होगा। नियमित रूप से जीएसटी रिटर्न दाखिल करने वालों को सिर्फ जीएसटीआर-1 और 3बी रिटर्न दाखिल करना होगा। बाकी सभी रिटर्न को समाप्त करने की सिफारिश की गई है।