उत्तम सोच को जीवन में शामिल कर मन को पवित्र बनाएं: आर्यिका सौम्यनन्दिनी

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कोटा। महावीर नगर विस्तार योजना स्थित श्री दिगम्बर जैन मंदिर पर पावन चातुर्मास कर रही आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी ने मंगलवार को प्रवचन करते हुए कहा कि लोभ सभी पापों का जन्मदाता है। आशाएं, इच्छाएं, भयानक दुखों को देने वाली है और मानव को 84 लाख योनियों में भटकाती है। अतः जीवन में सभी को संतोष धारण करना चाहिए।

इस धर्म की आधारशिला ही जप, तप, ज्ञान, संयम ध्यान हैै। उत्तम सोच को जीवन में शामिल कर मन को पवित्र बनाएं। सदा संतोषी बनो, लोभ से डरो। जैसे जैसे व्यक्ति को लाभ होता जाता है, उसका लोभ भी वैसे वैसे बढ़ता जाता है। इसलिए मन को पवित्र रखने के लिये लालच छोडना जरूरी है। अगर हमारे अन्दर पवित्रता आ गई तो सब हमारे हितैषी हैं, सब मित्र हैं।