ई-वे बिल में ट्रांसपोर्टर का नाम देना हुआ अनिवार्य, धांधली पर लगेगी लगाम

2752

नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली के तहत ई-वे बिल जारी करने में ट्रांसपोर्टरों की पहचान छिपाकर कच्चे बिल पर माल भेजने की धांधली रोकने के लिए सरकार ने कमर कस ली है। सरकार ने एक अक्तूबर, 2018 से देशभर में ई-वे बिल जारी करने वाले तंत्र में सुधार कर दिया है।

अब ई-वे बिल जारी करने के लिए उस ट्रांसपोर्टर का नाम देना अनिवार्य कर दिया गया है, जिसके जरिये माल भेजा जा रहा है। यही नहीं, इसमें कुछ ऐसी सहूलियतें भी कर दी गई हैं, ताकि छोटे कारोबारी खुद अपना ई-वे बिल जारी कर सकें और इसके लिए उन्हें चार्टर्ड अकाउंटेंट या अन्य प्रशिक्षित पेशेवरों की मदद नहीं लेनी पड़े।

जीएसटी नेटवर्क से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने अमर उजाला को बताया कि सोमवार से ही देशभर में ई-वे बिल जारी करने की प्रक्रिया में सुधार कर दिया गया है। पहले कारोबारी ई-वे बिल जारी करने को लेकर पार्ट-ए स्लिप जेनरेट करने के लिए पार्ट-बी को अधूरा छोड़ देते थे।

पार्ट-बी में ट्रांसपोर्टरों को जीएसटीएन से दी गई आईडी और अन्य जानकारी देनी होती है। पहले इस जानकारी के बिना भी बिल जारी हो जाता था, लेकिन अब पहले पार्ट-बी को भरकर सेव करना होगा, तभी पार्ट-ए जेनरेट होगा।

सूत्रों का कहना है कि अक्सर कच्चे बिल पर माल भेजने वाले कारोबारी ऐसा करते थे। कभी-कभी तो एक बिल के लिए ई-वे बिल जनरेट किया और उसमें ही घोषित मूल्य से बहुत ज्यादा सामान की ढुलाई हो जाती थी। इस तरह का गोरखधंधा स्थानीय और आसपास के माल परिवहन में ज्यादा हो रहा था।

खुद दिखेंगी कर की दरें
प्रणाली में सुधार के बाद अब कारोबारी जैसे ही ई-वे बिल जारी करने के लिए सामान का एचएसएन कोड डालेंगे, सिस्टम अपने आप उस पर देय जीएसटी दर का रेट ले लेगा। मतलब उस सामान पर कितना फीसदी सीजीएसटी, कितना आईजीएसएटी और कितना आईजीएसटी लगेगा, इसकी गणना खुद कर लेगा।

पहले इसे कारोबारी को भरना होता था और इसमें अक्सर गलती हो जाती थी। इससे बिल में विसंगति आ जाती थी। यही नहीं, अब इसमें एक नया खाना, सेस नॉन एडवेल अमाउंट एंड अदर वैल्यू भी शुरू किया गया है।

पिनकोड डालते ही राज्य का चयन
अधिकारी ने बताया कि अब सिस्टम में एक और सुधार राज्य के चयन का किया गया है। पहले पिन नंबर भरने के बाद राज्य का नाम भी भरना होता था। अब जैसे ही कारोबारी सिस्टम में पिन नंबर डालेंगे, वह अपने आप राज्य का नाम भर लेगा। मैनुअली होने से इसमें भी कभी-कभी गलती देखी गई थी।

एसएमएस से मिलेगा अलर्ट
यदि किसी कारोबारी के ई-वे बिल का वैल्यू 10 करोड़ रुपये से ज्यादा होगा, तो कारोबारी को एसएमएस पर अलर्ट मिलेगा। इससे फायदा यह होगा कि यदि कोई कारोबारी टाइपिंग गलती की वजह से ऐसा करता है, तो उसमें वह सुधार कर लेगा।