आध्यात्मिकता में विश्वास हो तो असंभव भी संभव : जैन

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कोटा। आईएसटीडी कोटा चैप्टर की ओर से स्वर्ण जयंती वर्ष कार्यक्रमों की शृंखला में डीसीएम रेयन्स में आध्यात्मिकता विषयक कार्यशाला का आयोजन किया गया । दिल्ली से आये सीएस दीपक जैन, लाइफ कोच और आध्यात्मिक प्रेरक एवं विजयांश फाउंडेशन के अध्यक्ष ने आध्यात्मिकता की अवधारणा और नेतृत्व और समाज के लिए इसके लाभों की व्याख्या की।

उन्होंने हमारे जीवन में आध्यात्मिकता का पालन करने के लिए गीता, धम्मपद और महात्मा गांधी की शिक्षाओं को भी उद्धृत किया। आध्यात्मिक नेताओं को अपने संगठन और टीम के सदस्यों के लिए खुद के लिए बड़ी सफलता मिलती है। उन्होंने बताया कि किस तरह महात्मा गांधी और अन्य लोग आध्यात्मिकता में विश्वास के माध्यम से असंभव परिणामों को प्राप्त करने में सक्षम हैं।

DCM श्रीराम रेयन्स के मुख्य परिचालन अधिकारी वी. के. जेटली ने बताया की नियमित अभ्यास हमारी सीमाओं को पार करता है और असंभव परिणाम और सफलता प्राप्त करता है।आध्यात्मिक जागृत लोग भी समावेशी विकास और स्थिरता जैसे समाज और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी के बारे में जानते हैं। वह प्रतिभागियों को अपने वेतन का 1 – 2% अच्छे सामाजिक कारणों के लिए दान करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है।

कोटा ISTD चैप्टर की चेयरपर्सन अनीता चौहान ने बताया कि आध्यात्मिकता धार्मिक होने से अलग है। उन्होंने समझाया कि केवल धार्मिक होना पर्याप्त नहीं है। सभी को आध्यात्मिकता की ओर बढ़ना चाहिए। जीवन से प्रेम करने का अर्थ हैं भगवान से प्रेम करना। कार्यशाला में कोटा चैप्टर सदस्य दौलत जोतवाणी, डॉ. परिहार ने भी अपने विचार साझा किए।

सौ बरस की जिंदगी से अच्छे हैं प्यार के दो चार दिन-
आईएसटीडी कोटा चैप्टर की ओर से आहा जिंदगी आर्ट ऑफ हैप्पीनेस पर एक कार्यशाला, विजयांश फाउंडेशन, दिल्ली के सहयोग से संपन्न हुयी | कार्यशाला का प्रारंभ चैप्टर सदस्य व् पर्यावरण प्रेमी श्रीमती गीता दाधीच ने संगीतमय अंदाज में किया। . सौ बरस की जिंदगी से अच्छे हैं प्यार के दो चार दिन …” गीत के साथ खुश रहने के गुर सिखलाये|

वक्ता सीएस दीपक जैन लाइफ कोच ने बताया कि कैसे इंसान अपने मन को खुशियों को प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षित कर सकता है। हम सभी अपने जीवन का उद्देश्य खुशी के लिए जीते हैं। खुशी मन की एक स्थिति है और मन को प्रशिक्षित करने के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि हमारा मन एक पवित्र उपकरण की तरह है। हम इसे प्यार, खुशी, करुणा, सहानुभूति, दया, सच्चाई के विचारों से भर दें। क्रोध जैसे नकारात्मक विचारों से बचें।