आधार वेरिफिकेशन QR कोड के जरिए ऑफलाइन शीघ्र ही

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नई दिल्ली। कस्टमर्स का आधार के जरिए ऑथेंटिकेशन दोबारा शुरू होने वाला है। हालांकि यह ऑफलाइन किया जाएगा। एक टॉप गवर्नमेंट ऑफिशियल ने बताया कि अटॉर्नी जनरल की इस राय के बाद यह कदम उठाने की तैयारी है कि ऑफलाइन ऑथेंटिकेशन पर कानूनी सवाल नहीं उठेंगे। इससे टेलीकॉम और बैंकिंग सेक्टर को काफी राहत मिलेगी।

यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) के सीईओ अजय भूषण पांडेय ने कहा, ‘ऑफलाइन ऑथेंटिकेशन पर कानूनी रूप से सवाल नहीं उठाए जा सकेंगे।’ उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में सभी रेगुलेटर्स की राय एक जैसी है। उन्होंने संकेत दिया कि व्यवस्था तैयार होने पर ऑफलाइन ऑथेंटिकेशन जल्द शुरू किया जाएगा।

क्यूआर कोड और अन्य तरीकों से आधार के जरिए ऑथेंटिकेशन कुछ सप्ताहों में शुरू हो सकता है। इससे बैंकों और टेलीकॉम कंपनियों को कस्टमर जोड़ने की रफ्तार बढ़ाने में मदद मिलेगी। सितंबर में आधार मामले में सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग से इस पर असर पड़ा था। कोर्ट ने प्राइवेट इकाइयों को बायोमीट्रिक डेटाबेस का उपयोग कर उपभोक्ताओं का ऑनलाइन ऑथेंटिकेशन करने से रोक दिया था।

हालांकि सर्विस प्रोवाइडर्स को ऑफलाइन ऑथेंटिकेशन का तरीका अपनाने के लिए अपने इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव करने होंगे। UIDAI ने पहले ही मशीन से पढ़े जा सकने वाले क्यूआर कोड्स पेश कर दिए हैं, जिनमें संबंधित व्यक्ति के नाम, पते, फोटो और जन्म तिथि की जानकारी होती है। यह कोड आधार वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकेगा।

इसका उपयोग ऑफलाइन मोड से ऑथेंटिकेशन में किया जा सकता है। इसमें 12 डिजिट्स वाले आधार का खुलासा करने की जरूरत नहीं होती। इसका अर्थ यह हुआ कि प्राइवेट इकाइयां आधार डेटाबेस और उससे जुड़ी कस्टमर की जानकारी को हाथ नहीं लगा पाएंगी, लेकिन वे ऑथेंटिकेशन कर सकेंगी।

सुप्रीम कोर्ट के 26 सितंबर के फैसले ने आधार की संवैधानिक वैधता पर मुहर लगाई थी और कहा था कि इसकी जरूरत सरकार की ओर से चलाई जाने वाली बेनेफिट स्कीमों के लिए पड़ेगी, लेकिन बैंकिंग और टेलीकॉम जैसी सेवाओं के लिए यह अनिवार्य नहीं होगा। इसके चलते बैंकों और फोन कंपनियों के हाथ बंध गए थे क्योंकि वे खाते खोलने और मोबाइल कनेक्शन देने के लिए ऑनलाइन वेरिफिकेशन कर रही थीं।

वेलफेयर स्कीमों के अलावा इनकम टैक्स रिटर्न भरने और परमानेंट एकाउंट नंबर पाने में भी आधार के उपयोग को सुप्रीम कोर्ट ने सही बताया था। देश में आधार के तहत करीब 1.22 अरब लोग एनरोल हो चुके हैं।

सरकार प्राइवेट इकाइयों की ओर से ऑथेंटिकेशन में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आईं मुश्किलें दूर करने के उपाय तलाश रही है। वह इन बाधाओं को हटाने के लिए टेलीग्राफ एक्ट और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में कुछ बदलाव करने के बारे में भी सोच रही है। हालांकि अधिकारी ने कहा कि इस बीच क्यूआर के जरिए ऑथेंटिकेशन से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है।