आपूर्ति में कमी से शक़्कर की कीमतों में तेजी

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सरकार ने 5 लाख टन शुल्क मुक्त कच्ची चीनी के आयात की अनुमति दी है, जिससे क्षेत्रीय स्तर पर कमी को दूर किया जा सके।

मुंबई। प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में बंपर उत्पादन और पिछले साल का भारी स्टॉक बचा होने के बावजूद देश के लगभग आधे राज्यों को चीनी की आपूर्ति की किल्लत से जूझना पड़ रहा है।

इस साल अब तक मॉनसूनी बारिश कम रहने से चीनी के उत्पादन में लगातार दूसरे साल सुधार की उम्मीद नहीं दिख रही है। यही वजह है कि पिछले कुछ हफ्तों में चीनी की कीमतें चढ़कर तीन माह के उच्च स्तर पर पहुंच गई है।
 
उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि 14 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पिछले साल कम उत्पादन की वजह से इस बार चीनी की काफी कम आपूर्ति हो रही है।

इन राज्यों में ज्यादा खपत करने वाले पश्चिम बंगाल, राजस्थान और बिहार आदि शामिल हैं। खपत में इजाफा होने के बावजूद इनमें से कई राज्यों में चीनी का उत्पादन नहीं होता है।

सरकार ने इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि मिलें चीनी की कीमतें न बढ़ाएं और कीमतों को काबू में रखें क्योंकि पहले ही चीनी के दाम तीन माह के उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा लिखे गए पत्र पर इस्मा की अध्यक्ष सरिता रेड्डी ने कहा, ‘हमने सभी सदस्य मिलों को कीमतों को काबू में रखने के लिए पत्र लिखा है। हम भी चाहते हैं कि कीमतें नियंत्रण में रहें और इसमें गैर-वाजिव इजाफा न हो।’ 
 
सरकार ने 5 लाख टन शुल्क मुक्त कच्ची चीनी के आयात की अनुमति दी है, जिससे क्षेत्रीय स्तर पर कमी को दूर किया जा सके। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी कम मात्रा मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी फैक्टरीज फेडरेशन के प्रबंध निदेशक संजीव बाबर ने कहा, ‘वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से करीब पंद्रह दिन पहले से ही कारोबारियों और स्टॉकिस्टों ने चीनी का भंडारण बंद कर दिया था।

इससे चीनी का कारोबार थम सा गया था। जुलई के पहले हफ्ते में कारोबारियों को ई-बिल जेनरेट करने की समस्या का सामना करना पड़ा। इससे भी आपूर्ति बाधित हुई। लेकिन दूसरे हफ्ते से अचानक मांग आने से कीमतें चढ़ गईं।’

भारत के मध्य, पूर्वी और उत्तर-पूर्वी राज्यों को अतिरेक चीनी या आयात के माध्यम से करीब 54 लाख टन चीनी की जरूरत है क्योंकि यहां चीनी की फिलहाल काफी कमी है।
 
उत्तर प्रदेश में 2016-17 के दौरान 87 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ जबकि यहां खपत 37 लाख टन थी। इसी तरह महाराष्ट्र में 42 लाख टन उत्पादन हुआ जबकि खपत 33 लाख टन रही। ऐसे में चीनी की किल्लत वाले राज्यों में यहां से चीनी की आपूर्ति की जरूरत है, ताकि कीमतें काबू में रह सकें।

उधर, मुख्य गन्ना उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में अब तक सामान्य से कम बारिश हुई है। कर्नाटक में भी 12 जुलाई को खत्म सप्ताह में सामान्य से कम बारिश हुई है। इससे इन इलाकों में गन्ने की पैदावार घटने की आशंका है। हालांकि मौसम विभाग का अनुमान है आने वाले हफ्तों में अच्छी बारिश होगी, जिससे गन्ने की फसल को फायदा होगा

इस बीच, रेटिंग एजेंसी इक्रा ने अपने हालिया अनुमान में कहरा है कि भारत में चीनी की कीमतों में तेजी आ सकती है क्योंकि सरकार ने चीनी के आयात शुल्क मौजूदा 40 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया है।