जीएसटी में उपलब्ध स्टॉक पर इनपुट क्रेडिट मिलेगा

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नई दिल्ली। उपलब्ध स्टॉक पर इनपुट क्रेडिट प्रदान किया जाएगा, मगर इसके लिए व्यवसायों को निर्धारित पात्रता शर्तों को पूरा करना होगा। आप इनपुट क्रेडिट केवल उसी स्थिति में पा सकते हैं, यदि आप नियमित करदाता हैं। कंपोजीशन लेवी का विकल्प चुनने वाले करदाता इनपुट क्रेडिट का लाभ नही ले पाएंगे।वस्तु एवं सेवा कर के अंतर्गत एचएसएन कोड की अहम भूमिका होगी।

जीएसटी काउंसिल की श्रीनगर बैठक से पहले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े चार विषय सबसे ज्यादा चर्चित रहे। ये अब काफी हद तक स्पष्ट हो चुके हैं। इनमें एडवांस टैक्स, उपलब्ध स्टॉक पर इनपुट क्रेडिट, एचएसएन कोड और गैरपंजीकृत करदाता से लेन -देन शामिल हैं। ये ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें समझना हर जीएसटी पंजीकृत करदाता के लिए जरूरी है।

जीएसटी में हर प्रोडक्ट के लिए कोड

जीएसटी में हर प्रोडक्ट के लिए यह कोड निर्धारित रहेगा। एचएसएन कोड का मतलब है “हार्मोनाइज्ड सिस्टम ऑफ नॉमेनक्लेचर।” जीएसटी व्यवस्था के तहत बेची जा रही हर वस्तु के सही वर्गीकरण और उन पर लागू होने वाली टैक्स की दर को निश्चित करने के लिए एचएसएनकोड बनाए गए हैं। डेढ़ करोड़ से पांच करोड़ रुपये तक का टर्नओवर करने वाले व्यवसायों को दो अंकों का एचएसएन कोड दिया जाएगा। पांच करोड़ से ऊपर के टर्नओवर वाले व्यवसायों को चार अंकों का एचएसन कोड प्रदान किया जाएगा। 

लेन -देन की जटिलता

जीएसटी के लागू होने के साथ ही पंजीकृत और गैरपंजीकृत व्यवसायों के बीच होने वाले लेन -देन की जटिलताओं का सामना करना होगा। जीएसटी के तहत अगर गैर पंजीकृत करदाता से किसी पंजीकृत करदाता को आपूर्ति की जाती है तो यह कर योग्य होगी। दो गैरपंजीकृत करदाताओं के बीच होने वाला लेनदेन कराधान के अंतर्गत नहीं माना जाएगा। यदि आप पंजीकृत व्यवसायी हैं और किसी पंजीकृत व्यापारी से खरीद करते हैं तो वह जीएसटी प्राप्त करने और जमा करने के लिए जिम्मेदार होगा। लेकिन यदि आप एक गैरपंजीकृत व्यक्ति से खरीद करते हैं को जीएसटी देने का दायित्व भी आपका होगा।