रुपया सबसे निचले स्तर पर, डॉलर के मुकाबले पहली बार 70 के पार पहुंचा

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नई दिल्ली। मजबूत शुरुआत के बाद कारोबार के दौरान रुपए में गिरावट बढ़ी और डॉलर के मुकाबले रुपया पहली पार 70 के पार निकल गया है। मंगलवार को रुपए ने 70.08 का भाव टच किया जो अबतक का सबसे निचला स्तर है। वहीं साल 2018 में अब तक रुपया 10 फीसदी से ज्यादा कमजोर हुआ है।

हालांकि मंगलवार को रुपए की शुरुआत 8 पैसे की बढ़त के साथ 69.85 के स्तर पर हुई थी। इससे पहले, सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 1.09 रुपया की कमजोरी के साथ 69.93 के स्तर पर बंद हुआ था। पिछले 5 वर्षों में रुपए में यह एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट थी।

इससे पूर्व अगस्त 2013 में रुपया एक दिन में 148 पैसे की गिरावट के साथ बंद हुआ था। फॉरेक्स ट्रेडर्स के मुताबिक, इम्पोर्टर्स और बैकों द्वारा डॉलर की डिमांड बढ़ने के साथ घरेलू शेयर बाजार में कमजोरी से रुपए का सेंटीमेंट्स प्रभावित हुआ है।

इस साल 10 फीसदी कमजोर हो चुका है रुपया
रुपए ने बीते साल डॉलर की तुलना में 5.96 फीसदी की मजबूती दर्ज की थी, जो अब 2018 की शुरुआत से लगातार कमजोर हो रहा है। इस साल अभी तक रुपया 10 फीसदी टूट चुका है। वहीं इस महीने डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक 1.64 रुपए टूट चुका है।

रुपए में कमजोरी की वजह
– कमोडिटी एक्सपर्ट अजय केडिया के अनुसार, अमेरिका औऱ चीन में ट्रेड वार बढ़ने के बीच ऑयल इम्पोर्टर्स द्वारा डॉलर की डिमांड बढ़ी, जिससे रुपए पर दबाव बना। वहीं अगले महीने अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने की उम्मीद है। ऐसे में डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है।
– वहीं एंजेल ब्रोकिंग कमोडिटी के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता का कहना है कि तुर्की में आर्थिक संकट की वजह से वहां की करंसी लीरा काफी कमजोर हुआ है। सोमवार को भी लीरा में कमजोरी बढ़ी है, जिससे बैंकिंग शेयर टूटे हैं। इसका असर ग्लोबल मार्केट पर हुआ है। यूरोपीय करंसी में भी स्लोडाउन आने से अन्य करंसी के मुकाबले डॉलर में मजबूती आ रही है। डॉलर इंडेक्स 13 महीने की ऊंचाई पर पहुंच गया है।

इंपोर्ट बेस्ड सेक्टर को नुकसान
रुपए के मुकाबले डॉलर में मजबूती के कारण एडिबल ऑयल, फर्टिलाइजर जैसे सेक्टर को नुकसान होगा। भारत सबसे ज्यादा इंपोर्ट क्रूड, एडिबल ऑयल और फर्टिलाइजर का करता है। ऐसे में डॉलर की कीमतें बढ़ने से इनके इंपोर्ट के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी।

वहीं इंपोर्ट आधारित दूसरे सेक्टर मसलन मेटल, माइनिंग के अलावा जेम्स एंड ज्वैलरी सेक्टर से जुड़ी कंपनियों को नुकसान होगा। इसके अलावा जिन कंपनियों पर ज्यादा कर्ज है, मसलन एयरटेल और आइडिया उन्हें भी डॉलर में बिल चुकाने की वजह से नुकसान होगा।

अगर पेट्रोलियम उत्पाद महंगे हुए तो पेट्रोल-डीजल के साथ-साथ साबुन, शैंपू, पेंट इंडस्ट्री की लागत बढ़ेगी, जिससे ये प्रोडेक्ट भी महंगे हो सकते हैं। ऑटो इंडस्ट्री की लागत बढ़ेगी, साथ ही डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी से माल ढुलाई का खर्च भी बढ़ने का डर रहता है।

 इन सेक्टर को होगा फायदा
रुपए के मुकाबले डॉलर के मजबूत होने का सबसे ज्यादा फायदा आईटी, फॉर्मा के साथ ऑटोमोबाइल सेक्टर को होगा। इन सेक्टर से जुड़ी कंपनियों की ज्यादा कमाई एक्सपोर्ट बेस है।

ऐसे में डॉलर की मजबूती से टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो जैसी आईटी कंपनियों के साथ यूएस मार्केट में कारोबार करने वाली फार्मा कंपनियों को होगा। इसके अलासवा ओएनजीसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज, ऑयल इंडिया लिमिटेड जैसे गैस प्रोड्यूसर्स को डॉलर में तेजी का फायदा मिलेगा क्योंकि ये कंपनियां डॉलर में फ्यूल बेचती हैं।