ब्रिटेन समेत 90 से ज्यादा देशों पर साइबर अटैक, रैंसमवेअर का हमला

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दुनिया भर में खलबली,  हैकर्स  मांगते हैं  ‘फिरौती’ , रिसर्चर ने दुर्घटनावश ढूंढ निकाली काट

हॉन्गकॉन्ग । दुनिया भर के 90 से ज्यादा देशों पर हुए बड़े साइबर हमले की काट ढूंढ ली गई है। माना जा रहा है कि एक साइबर एक्सपर्ट ने वह ‘किल स्विच’ (kill switch) ढूंढ निकाला है, जिसके जरिए लोगों के सिस्टम को हैक करके ‘फिरौती’ मांगने वाले रैंसमवेअर ‘वनाक्राई’ को फैलने से रोका जा सकता है। बता दें कि इस साइबर हमले से पूरी दुनिया में खलबली मची हुई है। साइबर अपराधियों ने अस्पतालों, टेलिकॉम फर्म और कई दूसरी बड़ी कंपनियों को फिरौती के मकसद से निशाना बनाया है।

संकट खत्म नहीं
यह काट ढूंढने वाले रिसर्चर ने टि्वटर हैंडल @MalwareTechBlog के जरिए कहा कि उनकी यह खोज एक्सीडेंटल या दुर्घटनावश है। मैलवेअर में इस्तेमाल होने वाले डोमेन नेम को रजिस्ट्रेशन करने के बाद इसका प्रसार रुक गया। उन्होंने लिखा, ‘मैं यह कबूल करूंगा कि डोमेन रजिस्टर करते वक्त मुझे यह पता ही नहीं था कि इससे मैलवेअर को फैलने से रोका जा सकता है।

इसलिए शुरुआती तौर पर यह खोज दुर्घटनावश हुई है।’ समाचार एजेंसी एएफपी से टि्वटर पर प्राइवेट मैसेज के जरिए इस रिसर्चर ने कहा, ‘शुरुआत में वे (हैकर्स) उस डोमेन के सहारे काम कर रहे थे, जो रजिस्टर्ड ही नहीं था। इसे रजिस्टर करने के बाद हमने उस मैलवेअर को फैलने से रोक दिया।

‘ हालांकि, इस रिसर्चर ने यह भी दावा किया कि लोगों को ऐसे हमले से बचने के लिए अपने सिस्टम जल्द से जल्द अपडेट कर लेने चाहिए। उसने चेतावनी दी है कि संकट खत्म नहीं हुआ है। हैकर्स कोड बदलकर दोबारा से कोशिश कर सकते हैं।

अमेरिकी एनएसए की तकनीक लीक
इस खोज का असर उन कम्प्यूटरों की सेहत पर नहीं पड़ेगा, जो पहले ही इस हमले के शिकार हो चुके हैं। इस हमले के तहत, हैकर्स यूजर के जरूरी फाइल्स को लॉक कर देते हैं और उसे दोबारा से ओपन करने के बदले वर्चुअल करेंसी बिटकॉयन में फिरौती मांगते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, हैकर्स तीन दिन में पैसा न देने पर फिरौती की रकम दोगुनी कर देते हैं। वहीं, सात दिन में न देने पर पूरी फाइलें ही डिलीट कर देते हैं। माना जा रहा है कि अमेरिका की नैशनल सिक्यॉरिटी एजेंसी जिस तकनीक का इस्तेमाल करती थी, वह इंटरनेट पर लीक हो गई थी और हैकर्स ने उसी तकनीक का इस्तेमाल किया है।

रूस सबसे ज्यादा प्रभावित
इस साइबर हमले से ब्रिटेन की हेल्थ सर्विस बुरी तरह प्रभावित हुई है। हमले के शिकार अस्पतालों के वॉर्ड और इमरजेंसी रूम बंद कर दिए हैं। ब्रिटेन की तरह ही स्पेन, पुर्तगाल और रूस में भी साइबर हमले हुए। सुरक्षा फर्म कैस्परस्की लैब और अवेस्टसेड ने इस हमले के लिए जिम्मेदार मैलवेयर की पहचान की है।

दोनों सुरक्षा फर्मों का कहना है कि इस साइबर हमले से रूस सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। रूस के आंतरिक मंत्रालय के सिस्टम निशाना बने हैं। इसके अलावा, स्पेन की टेलिकॉम कंपनी टेलिफोनिका और यूएस डिलिवरी कंपनी फेडएक्स और कुछ अन्य बड़े संगठन भी प्रभावित हुए हैं। प्रभावित होने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली और मेक्सिको भी शामिल हैं।