नई दिल्ली। चने का बंपर प्रोडक्शन इस बार किसानों के लिए बड़ी मुसीबत लेकर आया है। बीते वर्ष के मुकाबले किसानों को चने का भाव 42% तक कम मिल रहा है। वर्ष 2017 में अप्रैल के दूसरे सप्ताह में मध्यप्रदेश की मंडियों में चने की औसत कीमत 5931 रुपए प्रति क्विंटल थी, जो 2018 में गिरकर 3446 रुपए पर आ गई है।
यह गिरावट 41.9 % की है। चने का न्यूनतम समर्थन मूल्य बोनस सहित 4400 रुपए है। एक कैलकुलेशन के मुताबिक, इस वजह से देश के चना किसानों को करीब 6000 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ेगा। कृषि मंत्रालय के मुताबिक, देश में इस बार चने का रिकॉर्ड 11.10 मिलियन टन उत्पादन हुआ है।
इस तरह से हो रहा नुकसान
इस बार चने का कुल उत्पादन 1100 लाख क्विंटल हुआ है। सरकार ने चना खरीद का लक्ष्य 424.4 क्विंटल रखा है। यानी इसके बाद जो चना बचता है वह ओपन मार्केट में बेचा जाएगा और उसका भाव बाजार तय करेगा। चने का एमएसपी 4400 रुपए प्रति क्विंटल है और मार्केट प्राइस 3300 से लेकर 3500 के बीच है।
जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक अविक साहा के मुताबिक हर एक क्विंटल पर किसान को 900 से 1100 रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। सरकारी खरीद के बाद 685.6 लाख क्विंटल चना ओपन मार्केट के हवाले होगा। इस तरह से किसानों को लगभग 6000 करोड़ का नुकसान उठाना होगा।
आपको बता दें कि चना रबी की प्रमुख फसल है और उत्पादन का करीब 90 फीसदी हिस्सा पीक सीजन में ही मंडियों में पहुंच जाता है। इस कैलकुलेशन के लिए आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश की मंडियों से 15 अप्रैल का चने का भाव लिया गया।
अप्रैल के दूसरे सप्ताह में चने का भाव
राज्य 2017 2018 गिरावट
मध्यप्रदेश 5931 3446 42%
राजस्थान 5269 3576 32%
छत्तीसगढ़ 5571 3452 38%
स्रोत – एगमार्क नेट
सरकार नहीं ले रही एक्शन
मार्किट मिरर ग्रुप के एग्री रिसर्च हेड हितेशा भाला कहते हैं कि आने वाले वक्त में चने की स्थिति में सुधार होता नजर नहीं आ रहा है। जब तक सरकार सट्टेबाजी पर लगाम नहीं लगाती तब तक बाजार में उछाल नहीं आएगा, मगर सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।
सरकार की नीतियों के चलते कृषि प्रधान देश में हालात बहुत ही गंभीर हो गए हैं। अगर अभी पॉलिसी लेवल पर एक्शन नहीं हुए तो हम ये भी नहीं कह पाएंगे कि भारत एक कृषि प्रधान देश है।