इन्फोसिस देगी दस हजार अमेरिकियों को नौकरी

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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एच1बी वीजा पर सख्ती का असर 

मुंबई। भारतीय आईटी कंपनी इन्फोसिस ने अगले दो वर्षों में दस हजार अमेरिकियों को नौकरी देने का ऐलान किया है। इसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एच1बी वीजा पर सख्ती का असर माना जा रहा है। 

इन्फोसिस अमेरिका में चार प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना भी करेगी। इन्फोसिस के सीईओ विशाल सिक्का ने मंगलवार को कहा कि पहला नवोन्मेष केंद्र इस साल अगस्त में इंडियाना में खुलेगा।

इस केंद्र में 2021 तक अमेरिकियों को दो हजार रोजगार मिलेंगे। तीन अन्य केंद्रों के लिए जगहों का भी जल्द चयन होगा। इन केंद्रों के जरिये कंपनी को वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र, विनिर्माण, स्वास्थ्य देखभाल, खुदरा कारोबार और ऊर्जा क्षेत्र में ग्राहकों के साथ नजदीकी से काम करने में भी मदद मिलेगी। 

 उत्तरी अमेरिका बड़ा बाजार

उत्तरी अमेरिका का आईटी बाजार इन्फोसिस के लिए काफी महत्वपूर्ण है। वर्ष 2016-17 में कंपनी के राजस्व में उत्तरी अमेरिका का 60 प्रतिशत से अधिक योगदान रहा है। हालांकि सिक्का ने स्पष्ट किया कि फैसले की एकमात्र वजह वीजा के कड़े नियम ही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल के दौरान आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस और वर्चुअल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल काफी बढ़ा है। पुरानी परियोजनाओं को भी अब ज्यादा स्वचालित बनाया जा रहा है। 

पांच देशों की सख्ती दिखी

अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन और सिंगापुर ने आईटी पेशेवरों के लिए वीजा नियमों में कठोरता बरती है। इसका असर भारतीय आईटी पेशेवरों पर पड़ा है। 

इन्फोसिस -टीसीएस पर लगाया था आरोप

अमेरिका ने हाल ही में इन्फोसिस, विप्रो और टीसीएस पर एच1बी वीजा का बड़ा कोटा हथियाने का आरोप लगाया था। व्हाइट हाउस ने कहा था कि ज्यादा से ज्यादा आवेदन कर ये कंपनियां एच1बी वीजा का ज्यादातर कोटा हथिया लेती हैं। हालांकि इन कंपनियों ने कहा था कि एच1बी वीजा में उनका हिस्सा महज 8-9 फीसदी ही है। भारत और अमेरिकी आईटी कंपनियां एच1बी वीजा के जरिये बड़ी संखया में भारतीय पेशेवरों को नौकरियां देती हैं।