इसरो का अंतरि‍क्ष में शतक, भेजा 100वां सैटेलाइट

831

नई दि‍ल्‍ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को अंतरिक्ष में शतक लगा कर विश्व में एक नया इतिहास रच दिया। इसरो ने अपना 100वां सैटेलाइन अंतरि‍क्ष भेज दि‍या। यह लॉन्‍चिंग सुबह 9.28 पर श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से हुई।

इसरो ने बताया कि 44.4 मीटर लंबे राकेट PSLV-C40 से लांच होने वाले इन उपग्रहों में कार्टोसैट- 2, भारत का एक नैनो सैटेलाइट, एक माइक्रो सैटेलाइट और 28 विदेशी उपग्रह शामिल हैं। विदेशी उपग्रहों में कनाडा, फिनलैंड, कोरिया, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका के  25 नैनो और तीन माइक्रो सैटेलाइट शामिल हैं। 

31 सैटेलाइट का प्रक्षेपण 
इन सभी 31 सैटेलाइट का वजन 1323 किलोग्राम है। सभी सैटेलाइट को लांच करने की व्यवस्था इसरो और उसकी व्यवसायिक शाखा अंतरिक्ष कारपोरेशन लिमिटेड ने संभाली है। इसरो और एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच हुए व्यापारिक समझौतों के तहत इन 28 अंतरराष्ट्रीय उपग्रहों को प्रक्षेपित किया जाएगा। यह 100वां उपग्रह कार्टोसेट -2 श्रृंखला का तीसरा उपग्रह होगा। 
 
2018 की पहली अंतरिक्ष परियोजना है PSLV-C 40 
कुल 28 अंतर्राष्ट्रीय सह यात्री उपग्रहों में से 19 अमेरिका, पांच दक्षिण कोरिया और एक-एक कनाडा, फ्रांस, ब्रिटेन और फिनलैंड के हैं। आपको बता दें कि‍ चार महीने पहले 31 अगस्त 2017 इसी तरह का एक अभि‍यान फेल हो गया था।  PSLV-C 40, 2018 की पहली अंतरिक्ष परियोजना है। 
 
देश के लिए नए साल का तोहफा: किरण राव
सभी सैटेलाइट्स की कामयाब लॉन्चिंग के बाद इसरो के चेयरमैन एएस किरण राव ने कहा, “पीएसएलवी की पिछली लॉन्चिंग में दिक्कतें आई थीं, आज यह साबित हो गया कि हमने उन्हें ठीक तरह से समझा और दूर किया। देश को नए साल का यह तोहफा देकर खुशी हुई।”

बता दें कि 31 अगस्त को इसरो का लॉन्चिंग मिशन फेल हो गया था। तब उसने पीएसएलवी-सी39 के जरिए बैकअप नेवीगेशन सैटेलाइट आईआरएनएसएस-1एच सैटेलाइट लॉन्च किया था। यह तकनीकी खामी की वजह से आखिरी स्टेज में नाकाम हो गया था।
 
इसरो ने 47 साल में लॉन्‍च किए 278 सैटेलाइट्स 
इसरो ने 47 साल में 25 देशों के 278 सैटेलाइट्स लॉन्च किए हैं। वहीं, अमेरिका ने 72 साल में 1369 और रूस ने 80 साल में 1492 सैटेलाइट्स लॉन्‍च किए हैं। 10 साल में दुनिया में हुई लॉन्चिंग की 38 फीसदी भारत की ओर से हुई है।

भारत के पीएसएलवी रॉकेट की एक लॉन्चिंग करीब 100 करोड़ रुपए की होती है। रूस के रॉकेट की कीमत 455 करोड़ और अमेरिका, चीन व यूरोप के रॉकेट की एक उड़ान की लागत 6000 करोड़ रुपए से ज्यादा है।
 
पहली कोशिश में सफल रहा था मिशन मंगल  
स्‍पेस के लिए जापान, जर्मनी, इटली, चीन का बजट भारत से ज्यादा हैं। इसरो के पास 16 हजार साइंटिस्ट हैं। नासा के पास 17500 और रूस के पास 23800 हैं। भारत ने पहली कोशिश में ही मंगल मिशन कामयाब कर लिया था। जबकि अमेरिका 5 बार और रूस 8 बार में सफल हो पाए थे।

काउंटडाउन 52 की जगह 28 घंटे का कर लिया है। इसरो के डायरेक्टर एम अन्नादुरै के मुताबिक, चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग इस साल के पहले क्वार्टर में करने का प्लान है। इस मिशन के साथ ऑर्बिटर और लैंडर भी भेजे जाएंगे। इसका इंटीग्रेशन और टेस्टिंग फाइनल स्टेज में है।