ई-कॉमर्स फर्मों को उत्पादों पर लिखना होगा एमआरपी व एक्सपायरी डेट

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नई दिल्ली। ई-कॉमर्स कंपनियों पर अक्सर फर्जी डिस्काउंट देने के आरोप लगते रहे हैं। हालांकि, 1 जनवरी से पैकेज्ड प्रॉडक्ट्स पर एमआरपी और एक्सपायरी डीटेल्स को दिखाने के नियमों के लागू होने के बाद इस पर रोक लग सकती है।

कन्ज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट के लीगल मेट्रोलॉजी के हेड बी एन दीक्षित ने कहा कि ईकॉमर्स कंपनियों को अब एमआरपी और यूज-बाय डेट जैसी डीटेल्स अपनी वेबसाइट्स पर देनी होंगी। दीक्षित ने कहा, ‘इससे कंपनियों के एमआरपी को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने और इस पर डिस्काउंट देने या एक्सपायरी तारीख के करीब प्रॉडक्ट्स बेचने पर रोक लग सकती है।’

कुछ इंडस्ट्री मेंबर्स के मुताबिक, ईकॉमर्स कंपनियां प्रॉडक्ट डिस्प्ले के साथ वेबसाइट्स पर ये डीटेल्स भी डाल सकती हैं।नाम न छापने की शर्त पर कन्ज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री के एक प्रतिनिधि ने कहा कि ईकॉमर्स कंपनियां आमतौर पर सामान की कीमत एमआरपी से ज्यादा दिखाती हैं और इसके बाद इस पर भारी डिस्काउंट देती हैं।

कन्ज्यूमर्स को यह बात प्रॉडक्ट मिलने के बाद पता चलती है। लोकल सर्किल्स के एक हालिया सर्वे से पता चला कि 10,000 पार्टिसिपेंट्स में से 42 पर्सेंट ने प्रॉडक्ट्स को एमआरपी से महंगे पर लिस्टेड पाया और इसके बाद इस ऊंची कीमत पर डिस्काउंट ऑफर किया गया।

7,776 रिस्पॉन्डेंट्स में से 98 पर्सेंट ने कहा कि एक्सपायरी डेट का खुलासा अनिवार्य होना चाहिए। लोकलसर्किल्स के चीफ स्ट्रैटिजी ऑफिसर, यतीश राजावत ने कहा, ‘नए नियमों से रियलिस्टिक प्राइस डिसक्लोजर में मदद मिलेगी और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से फर्जी डिस्काउंट्स का भी खेल खत्म होगा।’

जून 2017 में मिनिस्ट्री ऑफ कन्ज्यूमर अफेयर्स ने लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) रूल्स, 2011 में संशोधन किया है। इनमें कहा गया है, ‘ईकॉमर्स इकाई को अनिवार्य खुलासे करने होंगे। इन्हें डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर प्रदर्शित करना होगा।’

ईकॉमर्स कंपनियों का कहना है कि वे नए रूल्स का पालन करने के लिए सेलर्स के साथ काम कर रही हैं। एमेजॉन के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हमने सेलर्स को लीगल मेट्रोलॉजी रेगुलेशंस में बदलाव के बारे में सूचित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। हम सेलर्स के साथ काम कर रहे हैं ताकि लीगल मेट्रोलॉजी रेगुलेशंस में हुए बदलावों का पालन सुनिश्चित हो सके।’

स्नैपडील ने गुजरे हफ्ते अपने सेलर्स को सतर्क किया है कि अगर वे नई गाइडलाइंस का पालन नहीं कर पाते हैं तो उन्हें लॉजिस्टिक्स पार्टनर्स का इस्तेमाल करने की इजाजत से वंचित किया जा सकता है। फ्लिपकार्ट के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम अपने सेलर्स को संशोधनों पर शिक्षित कर रहे हैं और उन्हें ट्रेनिंग दे रहे हैं ताकि वे नए रेगुलेशंस का पालन कर सकें।’